एक्सप्लेनर: UPA का था फैसला, अलग से नहीं होगी किसी VVIP की समाधि; मनमोहन सिंह की कहां बनेगी
- राष्ट्रीय स्मृति स्थल के लिए यूपीए ने 2013 में प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की समाधि एकता स्थल के पास जगह प्रदान की गई है। 2013 में यूपीए सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था। उस प्रस्ताव के अनुसार अब किसी भी VVIP की राजघाट के पास अलग से समाधि नहीं होगी।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह आज पंचतत्व में विलीन हो गए। भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने और दूसरी तरफ वंचित तबके के लिए शिक्षा का अधिकार, मनरेगा जैसी योजनाओं के लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। अब वह सशरीर मौजूद नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियों को सहेजने के लिए एक स्मारक की मांग हो रही है। कांग्रेस ने इस बारे में होम मिनिस्टर को शुक्रवार को ही एक पत्र लिखकर मांग की थी कि उनका अंतिम संस्कार वहीं कराया जाए, जहां उनका स्मारक बने। इस पर होम मिनिस्ट्री ने जवाब दिया कि मनमोहन सिंह का उनके कद के अनुरूप स्मारक जरूर बनाया जाएगा और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। इस बीच सूत्रों का कहना है कि मनमोहन सिंह का स्मारक राजघाट के पास ही स्थित राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनाया जाएगा। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी का भी स्मारक यहीं पर बना है।
राष्ट्रीय स्मृति स्थल के लिए यूपीए सरकार ने 2013 में प्रस्ताव पारित किया था। इसके तहत पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की समाधि एकता स्थल के पास जगह प्रदान की गई है। 2013 में यूपीए सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव पारित किया था। उस प्रस्ताव के अनुसार अब किसी भी VVIP की राजघाट के पास अलग से समाधि नहीं होगी। इस फैसले के लिए जगह की कमी का हवाला दिया गया था और कहा गया कि राष्ट्रीय स्मृति स्थल के नाम से अलग जगह दी जा रही है, जिसमें सभी VVIP के स्मारक बनाए जा सकेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी का स्मारक भी यहीं बना है और उनका अंतिम संस्कार भी यहीं पर हुआ था। कांग्रेस के ऐतराज की एक वजह यह भी है कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगम बोध घाट में क्यों कराया गया। उन्हें वहीं पर मुखाग्नि क्यों नहीं देने दिया गया, जहां उनका स्मारक बन सके।
आइए जानते हैं, क्या था यूपीए सरकार का 2013 वाला फैसला....
यूपीए सरकार ने 16 मई, 2013 को एक प्रस्ताव को मंजूर किया था, जिसके मुताबिक किसी भी VVIP यानी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की समाधि राजघाट के पास नहीं होगी बल्कि राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर होगी। राष्ट्रीय स्मृति स्थल बनाने का प्रस्ताव भी इसी के साथ पारित हुआ था, जो ज्ञानी जैल सिंह की समाधि के पास है। यह जगह राजघाट से 1.6 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसा प्रस्ताव यह कहते हुए लाया गया था कि महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट और जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी एवं राजीव गांधी जैसे नेताओं की समाधियां 245 एकड़ जमीन पर बनी हैं। इसलिए अब राष्ट्रीय स्मृति स्थल के लिए जगह दी जा रही है, जहां सभी VVIP के लिए स्थान होगा।
कितनी जगह में बनी है किसकी समाधि
इस फैसले से पहले जिन VVIP'S का निधन होता था, उनकी समाधि राजघाट के पास ही अलग से बनती थी। इनमें से पूर्व पीएम नरसिम्हा राव एक अपवाद हैं। अब जगह की बात करें कि कितनी जगह में किसकी समाधि है तो 44.35 एकड़ में राजघाट परिसर है। वहीं जवाहर लाल नेहरू का समाधिस्थल शांतिवन 52.6 एकड़ में बना है। पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री का स्मारक विजय घाट के नाम से 40 एकड़ में बना है। यहां 1965 की पाकिस्तान से लड़ी गई जंग में मिली जीत को समर्पित एक स्मारक भी है। तब शास्त्री जी ही पीएम थे। वहीं पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की समाधि 45 एकड़ में बनी है, जिसका नाम शक्ति स्थल है।
संजय गांधी की समाधि भी शांति वन के पास
राजीव गांधी का समाधि स्थल 15 एकड़ में वीर भूमि के नाम से है और चौधरी चरण सिंह की स्मृति में किसान घाट के नाम से स्मारक बना है। यहीं पर आगे ज्ञानी जैल सिंह की समाधि है, जो 22.56 एकड़ में है। फिर पूर्व डिप्टी पीएम जगजीवन राम और देवी लाल की समाधियां भी हैं। पूर्व पीएम चंद्रशेखर के नाम से स्मृति स्थल है तो पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन के नाम पर उदय भूमि है। इंदिरा गांधी के दूसरे बेटे संजय गांधी की समाधि भी शांति वन के पास ही बनी है।