Hindi Newsदेश न्यूज़Manmohan Singh dream remained unfulfilled could not be clean in coal scam during his lifetime

अधूरा रह गया मनमोहन सिंह का सपना, जीते जी कोयला घोटाले में नहीं हो पाए बेदाग; SC तक लड़ी लड़ाई

  • Manmohan Singh: सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह के खिलाफ समन आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन जस्टिस मदन लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया को समन जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSun, 29 Dec 2024 06:40 AM
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Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की एक इच्छा अधूरी रह गई। दिल्ली की एक अदालत द्वारा कथित अनियमित कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में उन्हें आरोपी बनाए जाने के बाद उन्होंने इस दाग को मिटाने की पूरी कोशिश की, लेकिन यह प्रयास अधूरा रह गया। यदि उन्हें कोर्ट से राहत मिलती, तो यह उनके साफ-सुथरे अतीत को बनाए रखने में मददगार साबित होता। सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला ब्लॉकों के अनियमित आवंटन को रद्द करते हुए ट्रायल कोर्ट को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत ऐसे मामलों में मुकदमा आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था।

मार्च 2015 में दिल्ली की एक अदालत ने हिंडाल्को को तालाबीरा-II कोयला ब्लॉक के कथित अनियमित आवंटन मामले में मनमोहन सिंह को आरोपी के रूप में समन भेजा था। इस समन आदेश से चिंतित मनमोहन सिंह ने इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, क्योंकि उन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष आरोपी के रूप में खड़ा होने की बदनामी का डर था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसका नेतृत्व जस्टिस वी गोपाला गौड़ा कर रहे थे, ने 1 अप्रैल 2015 को इस समन आदेश पर रोक लगा दी और उनकी याचिका की सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

हालांकि सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, फिर भी ट्रायल कोर्ट ने मनमोहन सिंह को समन जारी किया। कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई द्वारा मामले को बंद करना अनुचित था, क्योंकि मनमोहन सिंह उस समय कोयला मंत्रालय के प्रभारी थे और इस मामले में प्राइम फेसी साक्ष्य मौजूद थे।

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सुप्रीम कोर्ट ने मनमोहन सिंह के खिलाफ समन आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन जस्टिस मदन लोकुर की अगुवाई वाली पीठ ने पूर्व कोयला राज्य मंत्री संतोष बागरोडिया के खिलाफ समन जारी करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उनकी याचिका की सुनवाई मनमोहन सिंह की याचिका के साथ 2 सितंबर 2015 को की जाएगी।

मनमोहन सिंह की याचिका पर सुनवाई में तेजी लाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से चिंतित वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तत्कालीन सीजेआई एच एल दत्तू से स्पष्टीकरण मांगा कि मनमोहन सिंह की याचिका को कोयला घोटाले से संबंधित मामलों के साथ क्यों रखा गया है। सिब्बल ने पीसी अधिनियम की धारा 13(1)(डी)(iii) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी।

सीजेआई दत्तू ने सिब्बल से सहमति जताई और मनमोहन सिंह की याचिका को बागरोडिया की याचिका से अलग करने का आदेश दिया। सीजेआई दत्तू की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि मनमोहन सिंह की याचिका को तभी सूचीबद्ध किया जाएगा जब उनके वकील दलीलों के पूरा होने के बाद सुनवाई की मांग करेंगे।

अपने रिटायरमेंट के काफी समय बाद न्यायमूर्ति दत्तू ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में यह कहा था कि वह इस संभावना को नहीं मान सकते थे कि एक बेहद साफ-सुथरे पूर्व प्रधानमंत्री को ऐसे मामले में आरोपी के रूप में खड़ा होना पड़े, जो उनके पार्टी के राजनीतिक फैसलों से जुड़ा हो। अब यह याचिका निरर्थक हो गई है, क्योंकि मनमोहन सिंह का निधन हो चुका है।

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