देसी हथियार जमा कर रहे मणिपुर के उग्रवादी, अभी भी गायब हैं 3 हजार से ज्यादा घातक हथियार
- अधिकारियों का मानना है कि कई लोग अभी भी शक्तिशाली हथियार अपने पास रखे हुए हैं, जिससे हिंसा फिर से भड़कने का खतरा बना हुआ है।

मणिपुर में चल रहे हथियार जमा करने के अभियान में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य में पिछले कुछ समय से जारी अशांति के दौरान विभिन्न पुलिस थानों और हथियार भंडारों से लूटे गए लगभग 6,000 हथियारों में से अब तक केवल 3,000 ही जमा किए जा सके हैं। यह आंकड़ा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले बहुत कम है।
बता दें कि मणिपुर में अवैध रूप से प्राप्त किए गए हथियारों और गोला-बारूद को आत्मसमर्पण करने की समयसीमा 6 मार्च को समाप्त हो गई। अब तक केवल 3,000 हथियार और 37,000 राउंड गोला-बारूद बरामद हुए हैं। हालांकि, यह संख्या मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा के दौरान पुलिस स्टेशनों और शस्त्रागारों से लूटे गए हथियारों की तुलना में बहुत कम है। अनुमान के मुताबिक, विभिन्न समूहों ने पुलिस के शस्त्रागारों से 6,000 से अधिक हथियार और करीब 6 लाख राउंड गोला-बारूद लूटे थे। इनमें अत्याधुनिक राइफलें, ग्रेनेड और मोर्टार जैसे घातक हथियार शामिल थे। इस हिंसा ने राज्य में भारी तबाही मचाई, जिसमें 200 से अधिक लोगों की जान गई और लगभग 40,000 लोग विस्थापित हुए। इसके मुकाबले 20 फरवरी से 6 मार्च के बीच आत्मसमर्पण किए गए हथियारों की संख्या बेहद कम रही।
हाल ही में मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लोगों से अपील की थी कि वे लूटे गए और अवैध रूप से रखे गए हथियारों को स्वेच्छा से जमा करें। इस अपील के तहत 20 फरवरी से शुरू हुए अभियान में गुरुवार, 6 मार्च तक 1,044 हथियार और 14,779 गोला-बारूद जमा किए गए। हालांकि, यह संख्या कुल लूटे गए हथियारों का केवल आधा है। अधिकारियों का कहना है कि अभी भी 3,000 से अधिक हथियार लापता हैं, जो राज्य में शांति और सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं।
देसी हथियारों का आत्मसमर्पण, एडवांस हथियार अब भी गायब
सूत्रों के अनुसार, आत्मसमर्पण किए गए अधिकांश हथियार देसी निर्मित हैं, जिनमें पंपी गन, सेल्फ-लोडिंग राइफल, सिंगल बैरल गन, हाथ से फेंके जाने वाले ग्रेनेड और क्रूड बम शामिल हैं। जबकि पुलिस के शस्त्रागारों से लूटे गए हथियार कहीं अधिक आधुनिक और घातक थे। सुरक्षा बलों के अलग-अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं। असम राइफल्स के मुताबिक, उनके पास करीब 3,000 हथियार और 37,000 राउंड गोला-बारूद आत्मसमर्पण किए गए हैं। हालांकि, अन्य सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, 5 मार्च तक कुल बरामद गोला-बारूद की संख्या 1,000 से भी कम थी।
समयसीमा बढ़ाने के बावजूद कमजोर प्रतिक्रिया
20 फरवरी को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सभी जातीय समूहों से अपील की थी कि वे एक सप्ताह के भीतर अवैध हथियारों को आत्मसमर्पण कर दें। उन्होंने भरोसा दिलाया था कि इस दौरान आत्मसमर्पण करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, समयसीमा समाप्त होने के बाद ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी। राज्य में विभिन्न संगठनों की मांग के बाद आत्मसमर्पण की समयसीमा 27 फरवरी से बढ़ाकर 6 मार्च कर दी गई थी। यह कदम राज्य में शांति बहाल करने के उद्देश्य से उठाया गया था, खासतौर पर 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू होने और मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद।
किसने कितने हथियार जमा किए?
मेइती समुदाय के एक संगठन अरंबाई तेंगोल ने भी 246 हथियार जमा किए, लेकिन इनमें से केवल 106 ही अत्याधुनिक थे। अधिकारियों का मानना है कि कई लोग अभी भी शक्तिशाली हथियार अपने पास रखे हुए हैं, जिससे हिंसा फिर से भड़कने का खतरा बना हुआ है।
मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने कहा, "हमें अभी तक केवल 3,000 हथियार ही मिले हैं। बाकी हथियारों का पता लगाने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया जाएगा।" उन्होंने यह भी संकेत दिया कि शेष हथियार पड़ोसी देश म्यांमार में बिक सकते हैं, जहां मेइती उग्रवादी समूहों का आधार होने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिया है कि 8 मार्च से राज्य में सभी सड़कों पर लोगों और वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की जाए। साथ ही, म्यांमार सीमा पर बाड़बंदी को तेज करने और नशीले पदार्थों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए कड़े कदम उठाने को कहा गया है।
मणिपुर में मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच लंबे समय से चल रहे तनाव ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सभी लूटे गए हथियार वापस नहीं आ जाते, राज्य में स्थायी शांति की उम्मीद करना मुश्किल होगा।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अब समयसीमा खत्म होने के बाद सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी। सुरक्षा बलों ने संयुक्त रूप से हथियारों की बरामदगी के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की योजना बनाई है, ताकि मणिपुर में शांति और व्यवस्था बहाल की जा सके।