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देशभर के लोको पायलटों का ऐलान- 20 फरवरी से करेंगे हड़ताल; जानिए क्या है मांगें

  • काम करने के दौरान खराब परिस्थितियों को लेकर देश के सैकड़ों लोको पायलट 20 फरवरी से धरने पर बैठने जा रहे हैं। लोको पायलट के मुताबिक उन्हें 20-20 घंटे तक भी लगातार काम करना पड़ता है। उनकी मांगें क्या है?

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 18 Feb 2025 10:32 PM
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देशभर के लोको पायलटों का ऐलान- 20 फरवरी से करेंगे हड़ताल; जानिए क्या है मांगें

भारतीय रेलवे के लोको पायलटों ने 20 फरवरी से 36 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान किया है। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (AILRSA) ने इस बात की पुष्टि की है। AILRSA ने रेल मंत्रालय को इस संबंध में एक चिट्ठी लिख कर कहा है कि अधिकारियों ने अभी तक संसदीय समिति की उस सिफारिश को नहीं माना है जिसमें लोको पायलटों के काम के लिए 8 घंटे की शिफ्ट निर्धारित की गई है। एसोसिएशन ने कहा कि लोको पायलटों को लगातार 11 घंटे तक काम करना पड़ता है जो उनके लिए सेहत पर भी असर डालता है। रेल मंत्रालय की तरफ से इस मामले में अब तक कोई जवाब नहीं आया है।

एसोसिएशन ने यह भी कहा है कि लोको पायलटों, खासकर मालगाड़ियों का संचालन करने वाले पायलटों को अक्सर 12 से 20 घंटे तक लगातार काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। वहीं एक अधिकारी ने इस मामले पर बातचीत करते हुए बताया, "नियमों के मुताबिक लोको पायलट आठ घंटे काम करते हैं। उनकी ड्यूटी केवल असाधारण परिस्थितियों में ही बढ़ाई जाती है।"

एसोसिएशन ने यह आरोप भी लगाए है कि चालक दल के सदस्यों की नींद आने की वजह से कई बार दुर्घटना भी हुई है लेकिन अधिकारी लोको पायलटों को लगातार रात की शिफ्ट में ड्यूटी पर रखते हैं। चिट्ठी में बताया गया है कि नियमों के मुताबिक अन्य सभी रेलवे कर्मचारियों को एक बार में सिर्फ एक रात की शिफ्ट दी जाती है। सभी रेलवे कर्मचारियों को रोजाना 16 घंटे के आराम के अलावा 30 घंटे का साप्ताहिक अवकाश का अधिकार है। जहां अधिकांश रेलवे कर्मचारियों को 40 से 64 घंटे का साप्ताहिक अवकाश दिया जाता है वहीं लोको पायलटों को सिर्फ 30 घंटे मिलते हैं।

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एसोसिएशन ने बताया है कि जुलाई 2024 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने रेल मंत्री के सामने उनकी शिकायतें रखी थीं। रेल मंत्री ने लोको पायलटों के सामने आने वाले मुद्दों का अध्ययन करने और उनकी चिंताओं को हल करने के लिए एक महीने के अंदर रिपोर्ट पेश करने के लिए दो उच्च स्तरीय समितियों का गठन किया था। एसोसिएशन ने कहा, "हालांकि अब तक कोई रिपोर्ट या सिफारिश पेश नहीं की गई है। ऐसे में हमारे पास हड़ताल करके गांधीवादी तरीके से अपना विरोध व्यक्त करने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। उम्मीद यह है कि रेल मंत्री हमारी शिकायतों को दूर करने के लिए कार्रवाई करेंगे।"

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