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सड़क हादसे में बाल-बाल बचीं कर्नाटक की मंत्री लक्ष्मी, कुत्ते को बचाने के चक्कर में पेड़ से टकराई कार

  • रिपोर्ट के मुताबिक, बेलगावी के पास उनकी कार मंगलवार सुबह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में दोनों को मामूली चोटों आई हैं। बताया जा रहा है कि सड़क पर दौरड़ रहे एक कुत्ते को बचाने के प्रयास में यह हादसा हुआ।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानTue, 14 Jan 2025 10:28 AM
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कर्नाटक की मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर और एमएलसी चेन्नराज हत्तीहोली सड़क हादसे में बाल-बाल बच गए। रिपोर्ट के मुताबिक, बेलगावी के पास उनकी कार मंगलवार सुबह दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में दोनों को मामूली चोटों आई हैं। बताया जा रहा है कि सड़क पर दौरड़ रहे एक कुत्ते को बचाने के प्रयास में यह हादसा हुआ। ड्राइवर ने अपना नियंत्रण खो दिया और कार पेड़ से जा टकराई। इस दुर्घटना में मंत्री लक्ष्मी हेब्बालकर को पीठ और चेहरे पर चोटें आई हैं। एमएलसी चेन्नराज हत्तीहोली को सिर पर मामूली चोट लगी है। उनका इलाज चल रहा है। यह घटना आज सुबह 6 बजे हुई। लक्ष्मी हेब्बालकर के बेटे मृणाल हेब्बालकर ने यह जानकारी दी है।

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अगर कर्नाटक में जारी राजनीतिक हलचल की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस नेतृत्व और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने पार्टी विधायकों से सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करने को कहा। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस विधायकों से यह भी कहा गया कि पार्टी आलाकमान जो भी निर्णय लेगा, उसका पालन करें। कांग्रेस विधायक दल की सोमवार शाम को हुई बैठक में विधायकों को यह संदेश दिया गया। बैठक में कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और जयराम रमेश भी मौजूद थे। कांग्रेस विधायकों को यह संदेश ऐसे समय में दिया गया है जब मंत्रियों सहित कई विधायकों ने नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे पर मीडिया के सामने अपनी बात रखी है। कुछ ने इसकी संभावना का संकेत दिया है जबकि कुछ ने इसे खारिज कर दिया है।

कर्नाटक कांग्रेस के भीतर हलचल तेज

सीएम सिद्धारमैया की ओर से हाल ही में मंत्री सतीश जरकीहोली के आवास पर अपने चुनिंदा दलित और अनुसूचित जनजाति मंत्रिमंडल सहयोगियों के साथ रात्रिभोज आयोजित हुआ था। इसने कांग्रेस के भीतर इस बात की चर्चा पैदा कर दी कि मार्च में राज्य बजट के बाद प्रदेश में दूसरा मुख्यमंत्री या सत्ता-साझाकरण फार्मूले के तहत संभावित सत्ता परिवर्तन हो सकता है। खबर आई थी कि 2023 में पार्टी की जीत के बाद समझौता हुआ था, जिसमें सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार को बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनाने का फार्मूला तय हुआ था।

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