उमर का फिर कांग्रेस को झटका? खड़गे मांग रहे इस्तीफा; अमित शाह से मिलने क्यों पहुंच गए अब्दुल्ला
नई दिल्ली पहुंचने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर उन्हें मंत्री (अमित शाह) से बात करनी होगी क्योंकि वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है।
इंडिया अलायंस के सहयोगी दल नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक बार फिर कांग्रेस को करारा झटका दिया है। आंबेडकर विवाद के बीच जहां कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के तमाम सहयोगी दल भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना कर रहे हैं, और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे शाह का इस्तीफा मांग रहे हैं, उसी बीच उमर अब्दुल्ला शाह से मुलाकात करने नई दिल्ली पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को दोनों नेताओं की बैठक होने वाली है। केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभालने के बाद से उमर अब्दुल्ला की केन्द्रीय गृह मंत्री से यह दूसरी मुलाकात होगी।
नई दिल्ली पहुंचने के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा, "ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर मुझे गृह मंत्री (अमित शाह) से बात करनी होगी। वर्तमान में, जम्मू-कश्मीर एक केंद्र शासित प्रदेश है। हम राज्य का दर्जा पाने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन केंद्र शासित प्रदेश में गृह मंत्री की भूमिका अलग और अहम होती है। इसलिए ऐसे कई मुद्दे हैं जिन पर हमें उनसे बात करने की जरूरत है और इसीलिए मीटिंग करने आए हैं।"
ईवीएम के मुद्दे पर उमर अब्दुल्ला ने कहा, "मैंने वही बात कही जो मैं लगातार कहता रहा हूं। यानी अगर किसी को ईवीएम से शिकायत है तो वह शिकायत पूरे साल रहनी चाहिए। वह शिकायत सिर्फ हारने पर नहीं की जा सकती। जीतने के बाद भी ईवीएम से शिकायत की जानी चाहिए और अगर ईवीएम नहीं तो क्या हमें बैलेट पेपर पर वापस जाना चाहिए? क्या हम भूल गए हैं कि बैलेट पेपर के साथ क्या होता था? जिस तरह से मतों को बैलेट बॉक्स में डाला जाता था। मैं इसे नहीं भूला हूं..." 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर उन्होंने कहा, "जहां तक मुझे पता है, जब इसे पेश किया गया था, तब हमने इसका विरोध किया था। हम भविष्य में भी इसका विरोध करेंगे।"
सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर सकते हैं। सितंबर-अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनावों के बाद यह इस तरह की पहली बैठक होगी। इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, सेना, अर्धसैनिक बलों, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, खुफिया एजेंसियों और केंद्रीय गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के शामिल होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने बताया है कि उमर को अपनी पहली मुलाकात में ''सकारात्मक आश्वासन'' मिला था एवं वह इस बात को लेकर आशावादी हैं कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राज्य का दर्जा बहाल करने के अपने वादे को पूरा करेगी। केंद्र सरकार ने हालांकि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता का बार-बार आश्वासन दिया है, लेकिन उसने अभी तक इसके लिए कोई ठोस समयसीमा नहीं बताई है। मुख्यमंत्री राज्य के दर्जे के अलावा शाह के साथ अपनी मुलाकात के दौरान दोहरे नियंत्रण के प्रशासनिक मुद्दों के बारे में भी चिंता जता सकते हैं।
सत्ता में दो महीने से ज़्यादा समय बीत जाने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में कामकाज के नियम (टीबीआर) नहीं हैं जो निर्वाचित सरकार की शक्तियों और विभिन्न विभागों और प्रशासनिक मामलों पर उसकी शक्तियों को परिभाषित करते हैं। कामकाज के नियमों की खामी अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार और उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन के बीच टकराव पैदा कर रही है। सूत्रों ने बताया, "गृह मंत्री जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा करेंगे। उन्हें केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में मौजूदा स्थिति और सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी।"