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आतंकवाद के हितैषी मत बनो, पाकिस्तान की पैरवी कर रहे बांग्लादेश को जयशंकर ने समझा दिया

  • हसीना के अपदस्थ होने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 21 Feb 2025 06:18 PM
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आतंकवाद के हितैषी मत बनो, पाकिस्तान की पैरवी कर रहे बांग्लादेश को जयशंकर ने समझा दिया

शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से बांग्लादेश की पाकिस्तान के साथ करीबी जगजाहिर है। अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के पुनरुद्धार पर जोर दे रही है, जिसे भारत-पाकिस्तान संघर्ष के कारण लंबे समय से निलंबित कर दिया गया है। बांग्लादेश की मांग पर भारत ने साफ शब्दों में कहा है कि उसे आतंकवाद का हितैषी नहीं बनना चाहिए।

बता दें कि हाल ही में भारत और बांग्लादेश के बीच बहुपक्षीय सम्मेलन के दौरान सार्क को पुनर्जीवित करने को लेकर चर्चा हुई। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान सार्क की स्थायी समिति की बैठक बुलाने और संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए भारत का समर्थन मांगा था। मस्कट में आयोजित 8वें हिंद महासागर सम्मेलन के दौरान हुई इस मुलाकात में हुसैन ने सार्क पर चर्चा की थी।

MEA का कड़ा रुख: 'आतंकवाद को सामान्य नहीं किया जाना चाहिए'

अब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने बताया कि इस बैठक में बांग्लादेश की ओर से SAARC का मुद्दा उठाया गया था। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "पूरा दक्षिण एशिया जानता है कि SAARC को बाधित करने के लिए कौन सा देश और कौन सी गतिविधियां जिम्मेदार हैं। विदेश मंत्री (जयशंकर) ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश को आतंकवाद को नॉर्मल नहीं बनाना चाहिए।" भारत के विदेश मंत्री ने बांग्लादेश को स्पष्ट संदेश दिया कि आतंकवाद को सामान्य करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। भारत का कहना है कि क्षेत्रीय सहयोग और शांति के लिए यह जरूरी है कि आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जाए।

हालांकि, बांगलादेशी सलाहकार के साथ बैठक के बाद जयशंकर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में SAARC का उल्लेख नहीं किया था। उन्होंने लिखा, "बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन से मुलाकात हुई। बातचीत द्विपक्षीय संबंधों और BIMSTEC पर केंद्रित रही।"

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हसीना के अपदस्थ होने के बाद बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों को लेकर भारत और बांग्लादेश के बीच घनिष्ठ संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे। हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं में वृद्धि हुई थी, साथ ही बांग्लादेश में मंदिरों पर हमले भी हुए थे, जिससे नई दिल्ली में गहरी चिंताएं पैदा हुई थीं। बांग्लादेश और भारत के बीच 4,000 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सीमा है, वहां भी छिटपुट अशांति भी देखने को मिली है।

क्यों बंद पड़ा है सार्क?

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन पिछले कई वर्षों से प्रभावी रूप से निष्क्रिय या "बंद" पड़ा हुआ है, और इसके पीछे मुख्य कारण क्षेत्रीय तनाव, खासकर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष हैं। सार्क की स्थापना 8 दिसंबर 1985 को हुई थी, जिसका उद्देश्य दक्षिण एशिया के देशों के बीच सहयोग, शांति और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था। इसके सदस्य देश हैं- भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, मालदीव और अफगानिस्तान। हालांकि, कई कारणों से यह संगठन अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहा है।

सार्क की निष्क्रियता का सबसे बड़ा कारण भारत और पाकिस्तान के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव है। 2016 में जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद, भारत ने इस्लामाबाद में होने वाले 19वें सार्क शिखर सम्मेलन में भाग लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सम्मेलन से हटने का फैसला किया, जिसके परिणामस्वरूप यह रद्द हो गया। तब से कोई शिखर सम्मेलन आयोजित नहीं हुआ है। भारत का रुख रहा है कि जब तक-पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करना बंद नहीं करता, तब तक सार्क के तहत सहयोग संभव नहीं है।

भारत ने बार-बार कहा है कि आतंकवाद और सहयोग साथ-साथ नहीं चल सकते। पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों को समर्थन देने का आरोप लगने के कारण भारत ने सार्क को आगे बढ़ाने में रुचि कम दिखाई है। इससे संगठन का मूल उद्देश्य- क्षेत्रीय एकता और सहयोग- प्रभावित हुआ है। भारत ने सार्क के बजाय बिमस्टेक जैसे वैकल्पिक क्षेत्रीय मंचों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है, जिसमें पाकिस्तान शामिल नहीं है। यह भारत की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह पाकिस्तान को अलग-थलग करना चाहता है। उदाहरण के लिए, हाल ही में बांग्लादेश ने सार्क सम्मेलन की मांग की, लेकिन भारत ने बिमस्टेक को प्राथमिकता देने की बात कही।

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