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भारत नहीं, बांग्लादेश के लिए थी 21 अरब डॉलर की अमेरिकी मदद? भाजपा-कांग्रेस में घमासान

  • हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन प्रशासन के मतदान प्रतिशत (वोटर टर्नआउट) बढ़ाने के लिए भारत को 2.1 करोड़ डॉलर आवंटित करने के फैसले पर सवाल उठाया था।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 21 Feb 2025 03:52 PM
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भारत नहीं, बांग्लादेश के लिए थी 21 अरब डॉलर की अमेरिकी मदद? भाजपा-कांग्रेस में घमासान

अमेरिका की एजेंसी USAID द्वारा कथित तौर पर 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग को लेकर भारत में सियासी घमासान छिड़ गया है। एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह फंडिंग भारत के लिए नहीं, बल्कि बांग्लादेश के लिए थी। इस रिपोर्ट ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोंक को जन्म दिया है। दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं।

दरअसल हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन प्रशासन के मतदान प्रतिशत (वोटर टर्नआउट) बढ़ाने के लिए भारत को 2.1 करोड़ डॉलर आवंटित करने के फैसले पर सवाल उठाया था। उनकी टिप्पणी एलन मस्क के नेतृत्व वाले सरकारी दक्षता विभाग (डोज) द्वारा यह खुलासा किए जाने के बाद आई कि यूएसएड ने भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए निर्वाचन आयोग को 2.1 करोड़ डॉलर का योगदान दिया है।

इस पर ट्रंप ने कहा, ‘‘...और भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर। हमें भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ डॉलर खर्च करने की जरूरत क्यों है? वाह, मुझे लगता है कि वे (बाइडन प्रशासन) किसी और को सत्ता में लाने की कोशिश कर रहे थे। हमें भारत सरकार को बताना होगा।’’ इस बयान के बाद, बीजेपी ने कांग्रेस पर विदेशी ताकतों से मदद लेने का आरोप लगाया, जबकि कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी पर बिना तथ्यों की जांच किए विपक्ष पर आरोप लगाने की बात कही।

रिपोर्ट में क्या है दावा?

'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, USAID ने भारत में किसी भी चुनाव से संबंधित परियोजना के लिए 2008 के बाद कोई फंडिंग आवंटित नहीं की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुलाई 2022 में बांग्लादेश के लिए स्वीकृत की गई थी, जो "अमर वोट अमर" (मेरा वोट मेरा है) नामक परियोजना के लिए थी। यह फंडिंग बांग्लादेश में जनवरी 2024 के आम चुनाव से पहले "राजनीतिक और नागरिक भागीदारी" के लिए इस्तेमाल की गई थी। इस खुलासे ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भाजपा के उन दावों पर सवाल उठा दिए हैं, जिसमें कहा गया था कि यह पैसा भारत के मतदाता मतदान को बढ़ाने के लिए था।

कांग्रेस का पलटवार

इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने बीजेपी पर हमला बोला और इसे "फेक नैरेटिव" करार दिया। खेड़ा ने ट्वीट किया, "क्या यह बीजेपी की राष्ट्रविरोधी मानसिकता नहीं है कि वह बिना तथ्यों की जांच किए विपक्ष पर उंगली उठाने लगी? खुद बीजेपी ने अतीत में सरकारों को अस्थिर करने के लिए विदेशी ताकतों की मदद ली थी।" खेड़ा ने आगे कहा कि यदि यह फंड वास्तव में भारत के लिए था, तो यह खुफिया एजेंसियों के लिए शर्म की बात है। उन्होंने कहा, "अगर 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग भारत में आई थी, तो यह बीजेपी के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की विफलता है। फिर बाद में उन्होंने कहा कि यह पैसा 2012 में आया था। क्या 2014 का चुनाव उन्होंने इसी पैसे से जीता?" कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश ने भी बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि रिपोर्ट ने "बीजेपी के झूठ का पर्दाफाश कर दिया है" और पार्टी को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए।

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बीजेपी ने रिपोर्ट को बताया भ्रामक

भाजपा ने इस फंडिंग को भारत के चुनावी प्रक्रिया में विदेशी हस्तक्षेप का सबूत बताते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा था। पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने दावा किया कि यह पैसा कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान 2012 में भारत में आया था, जब चुनाव आयोग ने अंतरराष्ट्रीय फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स (IFES) के साथ एक समझौता किया था। मालवीय ने इसे जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से जोड़ा, जो USAID से फंडेड होती है। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट को "झूठा" करार देते हुए कहा कि यह विदेशी हस्तक्षेप को छिपाने की कोशिश है।

आगे क्या?

कांग्रेस ने सरकार से USAID के भारत में दशकों से सहयोग पर एक श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। वहीं, भाजपा का कहना है कि वह इस मामले में और सबूत पेश करेगी। यह विवाद आने वाले दिनों में और गर्माने की संभावना है, क्योंकि दोनों पार्टियां इसे अपने राजनीतिक हितों के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही हैं। फिलहाल, यह साफ है कि USAID फंडिंग को लेकर शुरू हुआ सियासी ड्रामा अभी थमने वाला नहीं है।

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