किसानों से बात क्यों नहीं हो रही? उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मोदी सरकार पर की सवालों की बौछार
- उपराष्ट्रपति ने कहा, 'गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है?
किसान आंदोलन को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सीधे केंद्र सरकार से सवाल उठाए हैं। उन्होंने मंगलवार को कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीधा सवाल पूछा कि आखिर किसानों से जो लिखित में वादे किए गए गए थे, उनका क्या हुआ। उन्होंने लंबा भाषण दिया है, जिसके कई अंश सोशल मीडिया पर भी शेयर किए हैं। वाइस प्रेसिडेंट ने कहा, 'कृषि मंत्री जी, एक-एक पल आपका भारी है। मेरा आप से आग्रह है कि कृपया करके मुझे बताइये, क्या किसान से वादा किया गया था? किया गया वादा क्यों नहीं निभाया गया? वादा निभाने के लिए हम क्या करें हैं?'
इसके अलावा उन्होंने किसान आंदोलन जारी रहने पर भी सवाल उठाया। उपराष्ट्रपति ने कहा, 'गत वर्ष भी आंदोलन था, इस वर्ष भी आंदोलन है। कालचक्र घूम रहा है, हम कुछ कर नहीं रहे हैं। पहली बार मैंने भारत को बदलते हुए देखा है। पहली बार मैं महसूस कर रहा हूँ कि विकसित भारत हमारा सपना नहीं लक्ष्य है। दुनिया में भारत कभी इतनी बुलंदी पर नहीं था। जब ऐसा हो रहा है तो मेरा किसान परेशान और पीड़ित क्यों है? किसान अकेला है जो असहाय है।' इसके आगे वह कहते हैं कि मान कर चलिए अपने रास्ता भटक गए हैं। हम उस रास्ते पर गए हैं जो खतरनाक है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह आकलन बहुत संकीर्ण है कि किसान आंदोलन का मतलब सिर्फ उतना हैं जो लोग सड़क पर है। ऐसा नहीं है। वह कहते हैं, 'इस देश के अंदर लाल बहादुर शास्त्री जी ने कहा- "जय जवान, जय किसान'। उस जय किसान के साथ हमारा रवैया वैसा ही होना चाहिए, जो लाल बहादुर शास्त्री की कल्पना थी। और उसके अंदर क्या जोड़ा गया? माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने कहा- "जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान। और वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने दूरदर्शिता दिखाते हुए इसको प्रकाष्ठा पर ले गए - "जय जवान, जय किसान, जय अनुसंधान, जय विज्ञान।'
लिखित में वादा हुआ था, उसका क्या हुआ?
यही नहीं उन्होंने किसानों के साथ तत्काल वार्ता शुरू करने की वकालत की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसान से वार्ता अविलंब होनी चाहिए और हमें जानकारी होने चाहिए, क्या किसान से कोई वादा किया गया था? प्रधानमंत्री जी का दुनिया को संदेश है, जटिल समस्याओं का निराकरण वार्ता से होता है। माननीय कृषि मंत्री जी, आपसे पहले जो कृषि मंत्री जी थे, क्या उन्होंने लिखित में कोई वादा किया था? यदि अगर वादा किया था तो उसका क्या हुआ? मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि किसान से वार्ता क्यों नहीं हो रही है? वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि आखिर किसानों का जो हक है, वह भी हम उसे क्यों नहीं दे रहे हैं। रिवॉर्ड देने की तो बात ही अलग है।
'हम किसानों को हक देने में भी क्यों कंजूसी कर रहे'
उपराष्ट्रपति की ओर से कृषि मंत्री की खिंचाई और सरकार पर ही सवाल उठाने वाले इस रुख से चर्चाएं भी जोरों पर हैं। आखिर क्यों जगदीप धनखड़ ने इतने तल्ख अंदाज में सरकार पर सवाल उठाए हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने जो वादा किया था, हम उसको देने में भी कंजूसी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैंने 2 दिन पहले मेरी चिंता व्यक्त की थी कि किसान आंदोलित हैं। मैंने किसान भाइयों से आह्वान किया था की हमे निपटारे की ओर बढ़ना चाहिए।
'हम अपनों से नहीं लड़ सकते, भारत की आत्मा को परेशान नहीं करना'
हम अपनों से नहीं लड़ सकते। हम यह विचारधारा नहीं रख सकते कि उनका पड़ाव सीमित रहेगा, अपने आप थक जाएंगे। अरे भारत की आत्मा को परेशान थोड़ी ना करना है, दिल को चोटिल थोड़ी ना करना है। यदि अगर संस्थाएं जीवंत होती, योगदान करती, यह हालात कभी नहीं आते। उन्होंने आगे बात को संभालते हुए कहा कि यह आप और हमारे सामने प्रश्न हैं। मुझे आशा की किरण नज़र आ रही है। एक अनुभवी व्यक्ति आज के दिन भारत का कृषि मंत्री है।