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ईरान में रूस के S-300 को इजरायल ने किया पस्त, S-400 को लेकर भारत के लिए खतरे की घंटी?

  • ईरान पर हुए ताजा इजरायली हमलों में रूसी एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरियां सामने आई हैं। इसके बाद अब भारत के पास मौजूद S-400 की क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तानFri, 1 Nov 2024 02:46 PM
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पिछले सप्ताह इजरायल ने ईरान पर बड़ा हमला करते हुए जंग की आग और भड़का दी है। ईरान इस हमले से सकपकाया हुआ है और जवाब देने के विकल्पों को तलाश रहा है। खबरों की माने तो इस हमले में इजराइल ने ईरान के सबसे धांसू वायु रक्षा प्रणालियों को नष्ट कर दिया है। अमेरिका और इजरायली अधिकारियों ने कहा है कि इस साल हमलों में इजराइल ने ईरान में रूस से खरीदी गई S-300 वायु रक्षा प्रणालियों की सभी चार बैटरियों को नष्ट कर दिया है। इनमें से एक को इजरायल ने अप्रैल में ही निशाना बनाया था। वहीं तीन अन्य पिछले सप्ताह के हमले में बर्बाद हो गए।

फॉक्स न्यूज के मुताबिक S-300 प्रणालियों को ठिकाने लगाने के अलावा इजरायल ने ईरान में दूसरी वायु रक्षा प्रणालियों और रडार प्रणालियों पर भी हमला किया है। इन प्रणालियों के जरिए ईरान इजरायली हमलों को ट्रैक करता था। रूसी वायु रक्षा प्रणालियों के खिलाफ इजरायल की सफलता ईरान और रूस के लिए ही नहीं बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी चेतावनी का संकेत है। जानकारों के मुताबिक यूक्रेन और मिडिल ईस्ट में चल रहे जंग में दो साल से अधिक समय से रूसी सैन्य उपकरणों को नियमित रूप से नुकसान पहुंचाया गया है।

रूसी रक्षा उपकरणों के नाकामयाब होने की खबरें भारत को चिंतित कर सकती है। हालांकि वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लिए फिलहाल चिंता करने की कोई बात नहीं है। परंपरागत रूप से भारत रूसी हथियारों और सैन्य हार्डवेयर का सबसे बड़ा आयातक रहा है। हालांकि पिछले एक दशक में रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश की है। भारत ने रूस से छह S-400 वायु रक्षा प्रणालियां खरीदी हैं जो ईरान में इजरायल द्वारा नष्ट की गई एस-300 वायु रक्षा प्रणालियों से एक श्रेणी ऊपर है। S-400 रूस का सबसे उच्च दर्जे का वायु-रक्षा उपकरण है। ये यूएस पैट्रियट वायु रक्षा प्रणालियों को टक्कर देता है जो कथित तौर पर इस समय यूक्रेन और इजरायल में तैनात हैं। भारत ने छह एस-400 वायु रक्षा बैटरियां खरीदी हैं जिन्हें चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जाना है। इनमें से चार बैटरियां भारत आ चुकी हैं। वही भारत अगले साल के अंत तक बाकियों के डिलीवरी की उम्मीद कर रहा है।

एक भारतीय अधिकारी के मुताबिक भारत के पास काफी विकल्प मौजूद हैं और भारत फिलहाल चिंतित नहीं है। अधिकारी ने कहा, “जहां तक ​​भारत का सवाल है वह सिर्फ रूसी तकनीक पर निर्भर नहीं है।” भारत कई देशों की हथियार प्रणालियों का इस्तेमाल कर रहा है। उदाहरण के लिए जबकि भारत के पास रूसी एस-400 के अलावा स्वदेशी आकाश प्रणाली के साथ-साथ मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) है जिसे इजराइल के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।

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