लद्दाख में पेट्रोलिंग को लेकर फिर भिड़े भारत और चीन? सेना ने बताई सच्चाई
- बता दें कि 21 अक्टूबर को भारत ने देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में एक पेट्रोलिंग समझौते की घोषणा की थी, जिसमें दोनों देशों की सेना को 2020 के स्थिति में लौटने के निर्देश दिए गए थे।
पूर्वी लद्दाख के देपसांग क्षेत्र में भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता में गतिरोध होने की अटकलों को भारतीय सेना ने खारिज कर दिया है। सेना ने गुरुवार को अपने X (ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट करते हुए कहा कि कोई भी बाधा या विरोध उत्पन्न नहीं हुआ है। सेना ने कुछ मीडिया रिपोर्टों को "काल्पनिक और तथ्यहीन" बताया। सेना के अतिरिक्त महानिदेशक जनसंपर्क ने कहा कि बुधवार और गुरुवार को प्रकाशित कुछ रिपोर्टों में देपसांग और डेमचोक में गतिरोध की बात कही गई थी।
भारतीय सेना के अनुसार, "यह स्पष्ट किया जाता है कि देपसांग और डेमचोक में डिसएंगेजमेंट पूरा हो चुका है और सहमति के अनुसार योजना के तहत पारंपरिक क्षेत्रों में पेट्रोलिंग शुरू हो चुकी है। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार का कोई अवरोध नहीं है।" सेना ने संबंधित मीडिया हाउसों को आगाह किया कि संवेदनशील मामलों पर तथ्य जांचकर ही रिपोर्ट प्रकाशित की जाए ताकि किसी प्रकार की भ्रामक जानकारी न फैलाई जाए।
सेना ने कहा, "इस संबंध में प्रकाशित लेख काल्पनिक और तथ्यहीन हैं। मीडिया हाउसों से अनुरोध है कि ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर तथ्यों की जांच और सत्यापन के बाद ही रिपोर्ट प्रकाशित करें और अनावश्यक रूप से भ्रामक जानकारी न फैलाएं।"
बता दें कि 21 अक्टूबर को भारत ने देपसांग और डेमचोक के विवादास्पद क्षेत्रों में एक पेट्रोलिंग समझौते की घोषणा की थी, जिसमें दोनों देशों की सेना को 2020 के स्थिति में लौटने के निर्देश दिए गए थे। इस समझौते के तहत संरचनाओं को हटाना और उनकी जगह को मूल स्थिति में बहाल करना शामिल था। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था, "हम एक समझौते पर पहुंच गए हैं और हम 2020 की स्थिति में लौट चुके हैं। इसके साथ ही हम यह कह सकते हैं कि चीन के साथ डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 2020 के बाद कुछ क्षेत्रों में हमने और उन्होंने अवरोध पैदा किए थे, लेकिन अब समझौते के तहत इन क्षेत्रों में पहले की तरह ही पेट्रोलिंग शुरू हो गई है।"