IIT बाबा अभय सिंह के पिता हुए भावुक, बोले- बेटे ने हमारे नंबर तक ब्लॉक कर दिए
- IITian बाबा की असली पहचान अभय सिंह है, जो हरियाणा के झज्जर के गांव सासरौली से आते हैं। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है, लेकिन अब जीवन अध्यात्म को समर्पित कर चुके हैं।
एक ओर जहां महाकुंभ में पहुंचे साधुओं के दर्शन को भीड़ उमड़ रही है। वहीं, कुछ संत सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। ऐसा ही एक नाम अभय सिंह का है। वह 'IITian बाबा' के नाम से मशहूर हैं। अब उनके अध्यात्म की राह पकड़ने पर पिता की प्रतिक्रिया आई है। खबर है कि वह बेटे के इस फैसले से खास खुश नहीं हैं। हालांकि, वह यह भी साफ करते हैं कि बेटे ने जो कदम उठाया है उसमें दखल नहीं देंगे।
IITian बाबा की असली पहचान अभय सिंह है, जो हरियाणा के झज्जर के गांव सासरौली से आते हैं। उन्होंने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की है, लेकिन अब जीवन अध्यात्म को समर्पित कर चुके हैं। उनका कहना है कि अध्यात्म के लिए उन्होंने विज्ञान का रास्ता छोड़ दिया है। इससे पहले वह कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए नौकरी भी हासिल कर चुके हैं और पेशेवर दुनिया का भी हिस्सा रह चुके हैं।
खबर है कि अभय के पिता कर्ण सिंह पेशे से वकील हैं। आजतक से बातचीत में वह बताते हैं कि बेटे के अध्यात्म की ओर जाने और मोह माया छोड़ने का पता सोशल मीडिया से ही चला। वह बताते हैं कि बेटे के अध्यात्म में जाने से वह खुश नहीं हैं। साथ ही कहते हैं कि इस फैसले के बारे में खुद अभय ही जानकारी दे सकता है। सिंह का मानना है कि संभव है इसके पीछे कुछ बड़ी सोच हो और वह अध्यात्म से देश को संदेश देना चाह रहा हो।
चैनल से बातचीत में वह बताते हैं कि अभय उनके साथ कम बात करता था और अध्यात्म में जाने के बारे में माता-पिता में से किसी को नहीं बताया। सिंह बताते हैं कि अभय को फोन पर बात करना पसंद नहीं था और कहता थाकि आप मैसेज किया करें। उन्होंने जानकारी दी कि पिछले 6 महीने से अभय ने परिवार के लोगों के नंबर ब्लॉक कर दिए हैं, जिसके चलते वह कहां है, इसका पता नहीं चल पा रहा था।
वजह
सिंह का कहना है कि अभय जानता था कि परिजन उसकी शादी की बात करें और उसने बचाव के लिए सभी के नंबर ब्लॉक कर दिए। वह अभय के स्वभाव को लेकर कहते हैं कि बहुत धुनी है और उसने कभी नहीं बताया कि जीवन में क्या करना चाहता है। सिंह ने कहा कि IIT में पढ़ाई के दौरान भी उसने उज्जैन में आयोजित कुंभ की यात्रा की थी। साथ ही पिता चाहते हैं कि वह घर लौट आए।
कनाडा में की नौकरी
पिता अभय को लेकर कहते हैं कि बचपन से ही शिक्षा में बहुत आगे था और होनहार था। उन्होंने कहा कि बेहतर रैंक मिलने के कारण उसे IIT में जाने का मौका मिला और बाद में वह कोरोना महामारी के समय कनाडा भी गया, जहां बहन के पास रहकर नौकरी भी करता था। उन्होंने बताया कि कनाडा से लौटने पर वह उसे नैचुरल पैथी चिकित्सालय ले गए थे, जहां ध्यान के बीच डॉक्टरों ने उसे अध्यात्म के बारे में बताया।