आप पर भरोसा नहीं, आपकी अदालत में नहीं करानी सुनवाई; कौन हैं राजीव दहिया? कोर्ट रूम में SC जज से क्यों उलझे
सोमवार को जस्टिस ओका और जस्टिस मसीह की अदालत में खुद व्यक्तिगत तौर पर पेश हो राजीव दहिया ने कहा कि उन्होंने 2021 के फैसले को वापस लेने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी है लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस अगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ अवमानना से जुड़े एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक गैर सरकारी संगठन (NGO) सुराज इंडिया ट्रस्ट के अध्यक्ष राजीव दहिया पर कोर्ट ने 2021 में बेकार याचिकाएं दाखिल करने पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था लेकिन दहिया ने उसे नहीं चुकाया था और अदालत पर ही लगातार कई तरह के आरोप लगाते रहे थे। इस पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की गई थी।
सोमवार को जस्टिस ओका और जस्टिस मसीह की अदालत में खुद व्यक्तिगत तौर पर पेश हो राजीव दहिया ने कहा कि उन्होंने 2021 के फैसले को वापस लेने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दी है लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
इस पर जस्टिस ओका ने कहा, "आप 23 सितंबर को आइए... सबसे पहले हम देखेंगे कि आपने कोई आवेदन दिया है या नहीं। इसके बाद ही हम अवमानना केस में सजा पर फैसला सुनाएंगे।" इस पर दहिया जस्टिस ओका पर ही भड़क गए। उन्होंने कहा, "मुझे आपकी अदालत में कोई सुनवाई नहीं करानी। हमें आप पर भरोसा नहीं है।"
इस पर जस्टिस ओका ने भी दहिया को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा, "हमने यह बात नोट की है कि आप हम दोनों में से भी किसी एक पर मुकदमा चलाना चाहते हैं।" जस्टिस ओका इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा, "न्यायाधीशों पर मुकदमा चलाने और इस सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगाने से हम रुकने या झुकने वाले नहीं है।" इसके बाद उन्होंने सुनवाई स्थगित कर दी। बार एंड बेंच के मुताबिक राजीव दहिया ने अब जस्टिस ओका के खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास शिकायत की है।
इस तरह राजीव दहिया एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। वह 2017 में तब सुर्खियों में आए थे, जब उन पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। उन्होंने यह जुर्माना नहीं भरा तो 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अवमानना का दोषी ठहराया है। बता दें कि कानूनी अधिकारों के गलत इस्तेमाल करते हुए दहिया ने 64 जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
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