किसी विकास यादव को नहीं जानता, सारे सबूत गढ़े गए; पन्नू हत्या साजिश के आरोपी निखिल गुप्ता
- निखिल गुप्ता ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला उनकी पहचान को गलत तरीके से पेश करने और राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है।
अमेरिकी न्याय विभाग ने सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश में कथित संलिप्तता को लेकर भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। निखिल गुप्ता को 2023 में चेकोस्लोवाकिया में गिरफ्तार किया गया था तथा प्रत्यर्पण के बाद वह अमेरिकी जेल में बंद है। अमेरिका ने आरोप लगाया गया है कि एक रॉ अधिकारी विकास यादव ने निखिल गुप्ता के साथ मिलकर 2023 की गर्मियों में सिख अलगाववादी नेता की हत्या की साजिश रची थी। हालांकि निखिल गुप्ता ने अपने ऊपर लगे आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला उनकी पहचान को गलत तरीके से पेश करने और राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा है।
प्राग की अदालत का तर्क और निखिल का जवाब
द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में निखिल गुप्ता ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर खुलकर बात की। रिपोर्ट के मुताबिक, जब प्राग की सर्वोच्च अदालत में उनके वकील ने तर्क दिया कि निखिल भारतीय खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहे थे और आदेश का पालन करने से इंकार नहीं कर सकते थे, तो अदालत ने इस दावे को “बेतुका” बताया। अदालत ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस तरह के तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। निखिल ने इस पर कहा, “अगर आप मेरे वकीलों और मैंने चेक कोर्ट में जो दलीलें दी हैं, उनकी समीक्षा करें, तो आप देखेंगे कि हमने ऐसी कोई दलील नहीं दी है। मुझे यह जानकर भी उतना ही आश्चर्य हुआ कि संवैधानिक न्यायालय ने अपने फैसले में इस कथन को शामिल किया, जो स्पष्ट रूप से संवैधानिक न्यायालय और अन्य अधिकारियों के बीच मिलीभगत का संकेत देता है।”
अमेरिकी अभियोग और सबूतों पर गुप्ता का दावा
अमेरिकी अभियोग में गुप्ता के फोन नंबर से भेजे गए संदेश और एक व्यक्ति (CC-1) के साथ उनकी बातचीत के वीडियो सबूत शामिल होने का दावा किया गया है। निखिल ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा, “यह सब कुछ पूरी तरह से गढ़ा हुआ और मनमाना आरोप है। मैं इस मामले से जुड़े किसी भी व्यक्ति को नहीं जानता।”
प्राग और अमेरिका में काउंसुलर सहायता
प्राग में जेल के दौरान निखिल को भारतीय दूतावास से तीन बार काउंसुलर सहायता मिली। हालांकि, उन्होंने बताया कि मिलने आए अधिकारियों का नाम उन्हें ज्ञात नहीं है। अमेरिका में प्रत्यर्पण के बाद, उन्होंने कहा, “जब से मुझे प्राग से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया है, मुझे कोई काउंसलर एक्सेस नहीं मिला है। भारतीय दूतावास से कोई भी मुझसे मिलने नहीं आया है। मेरे परिवार ने इसके लिए कई बार अनुरोध किया, लेकिन आज तक कोई भी मुझसे मिलने नहीं आया है…”
सरकारी वकील की मांग
गुप्ता ने अमेरिका में सरकारी वकील की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह कानूनी लड़ाई मेरे और मेरे परिवार के लिए बेहद लंबी और थकाऊ रही है। हमारी सारी बचत पहले ही चेक गणराज्य में केस लड़ने में खर्च हो गई। अदालत ने मुझे 30 अक्टूबर को वकील दिया, लेकिन उनकी आपराधिक मामलों में विशेषज्ञता बहुत कम है। मुझे अपनी रक्षा के लिए सबसे अच्छे वकील की जरूरत है, लेकिन निजी वकील की फीस देने में असमर्थ हूं। निखिल गुप्ता ने कहा, "यह मेरे और मेरे परिवार के लिए पहले से ही एक अविश्वसनीय रूप से लंबी और थकाऊ कानूनी लड़ाई रही है, और इसने भारी वित्तीय नुकसान पहुंचाया है। हमारे पास जो भी पैसे थे, वह चेक गणराज्य में केस लड़ने में खर्च हो गए। अदालत ने मेरे लिए 30 अक्टूबर को एक वकील नियुक्त किया, लेकिन अपनी खुद की रिसर्च के बाद, मुझे पता चला कि मेरे लिए नियुक्त वकीलों में आपराधिक बचाव और इस तरह के मामलों में आवश्यक विशेषज्ञता और अनुभव की कमी है। पूरे सम्मान के साथ, उनमें से एक 20 अक्टूबर को मेरे मामले में नियुक्त होने से सिर्फ 10 दिन पहले सरकारी डिफेंस लॉयर बना। मैं असल में अपने डिफेंस के लिए सबसे अच्छा वकील चाहता हूं, लेकिन मेरा परिवार और मैं इसे वहन नहीं कर सकते।"
‘विकास यादव’ नाम पर सफाई
अमेरिकी चार्जशीट में निखिल पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर विकास यादव नामक व्यक्ति से संपर्क किया। निखिल ने कहा, “विकास एक बहुत ही आम नाम है और यादव भारत में एक बड़ा समुदाय है। मैं इस नाम वाले या इस मामले से जुड़े किसी व्यक्ति को नहीं जानता। मैंने इस नाम को सिर्फ एक बार पढ़ा है, वह भी अभियोग में…”
अमेरिका में जेल की स्थिति
अमेरिकी जेल में अपने जीवन पर निखिल ने कहा, “एक निर्दोष व्यक्ति के लिए, जो घर से दूर, परिवार से अलग, झूठे आरोपों में जेल में है, यह जीवन किसी त्रासदी से कम नहीं है। मैं मजबूत बने रहने की कोशिश करता हूं, क्योंकि मुझे पता है कि मेरी मां, पत्नी और बच्चे मेरी स्थिति को जानेंगे।”