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सिख फॉर जस्टिस पर लगा बैन पांच साल बढ़ा, क्या है पन्नू का खालिस्तानी संगठन? भारत ने कसा शिकंजा

  • SFJ ने भारतीय सेना के सिख जवानों को विद्रोह के लिए उकसाने, खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बाधित करने की कोशिश की।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 4 Jan 2025 06:18 PM
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गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) को गैरकानूनी संगठन घोषित करने के केंद्र सरकार के फैसले को UAPA ट्रिब्यूनल ने सही ठहराया। ट्रिब्यूनल की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अनूप कुमार मेंदिरत्ता ने की। उन्होंने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि सबूतों से स्पष्ट होता है कि SFJ का संबंध खालिस्तानी आतंकी संगठनों जैसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल और खालिस्तान टाइगर फोर्स से है। साथ ही, पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के साथ मिलकर पंजाब में आतंकवाद को फिर से सक्रिय करने का प्रयास भी किया गया।

SFJ पर लगे आरोप

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रिब्यूनल ने कहा कि SFJ ने सोशल मीडिया के जरिए युवाओं की भर्ती और उन्हें कट्टरपंथी बनाने, तस्करी नेटवर्क के माध्यम से आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने और प्रधानमंत्री व गृहमंत्री जैसे भारतीय नेताओं को जान से मारने की धमकी देने का काम किया। 2019 में SFJ को पहली बार गैरकानूनी घोषित किया गया था और उस समय इसके खिलाफ 11 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं। 2024 तक यह संख्या बढ़कर 122 हो गई, जो इसके गैरकानूनी गतिविधियों में तेज वृद्धि को दर्शाती है।

राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा

SFJ ने भारतीय सेना के सिख जवानों को विद्रोह के लिए उकसाने, खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने और राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बाधित करने की कोशिश की। ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि SFJ ने पावर प्लांट और रेलवे जैसी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों को निशाना बनाया और G20 शिखर सम्मेलन जैसे प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रमों में व्यवधान डालने का प्रयास किया।

सोशल मीडिया और साइबर प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग

SFJ ने साइबर और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए अलगाववादी प्रचार किया, धमकी भरे संदेश प्रसारित किए और भारतीय ध्वज जलाने जैसे कार्यों के लिए उकसाने वाले वीडियो और कॉल जारी किए। सरकार की ओर से 52 गवाहों की गवाही, जिसमें वरिष्ठ पुलिस और खुफिया अधिकारी शामिल थे, वीडियो, दस्तावेज और SFJ नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के कबूलनामे पेश किए गए।

ट्रिब्यूनल का निर्णय

ट्रिब्यूनल ने कहा कि SFJ की गतिविधियां भारतीय संविधान और UAPA का सीधा उल्लंघन हैं और ये भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हैं। इस आधार पर, SFJ पर लगाए गए प्रतिबंध को उचित ठहराया गया।

क्या है सिख्स फॉर जस्टिस?

सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) एक अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन है जो खालिस्तान समर्थक विचारधारा को बढ़ावा देता है। यह संगठन पंजाब को भारत से अलग कर एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य बनाने की वकालत करता है। यह संगठन मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार करता है और युवाओं को खालिस्तान आंदोलन के प्रति उकसाने, कट्टरपंथी बनाने और उनकी भर्ती करने की कोशिश करता है। SFJ के खिलाफ भारत में कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं, जिनमें आतंकवादी गतिविधियों का वित्तपोषण, राष्ट्रीय कार्यक्रमों को बाधित करना, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना, और भारतीय सेना में विद्रोह को उकसाने जैसे कार्य शामिल हैं।

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संगठन का नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू जैसे व्यक्तियों द्वारा किया जाता है, जो भारत विरोधी गतिविधियों के लिए कुख्यात हैं। SFJ पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ मिलकर खालिस्तानी आतंकवाद को पुनर्जीवित करने का आरोप भी लगाया गया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा माना है।

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