कैसे जून का बदला योगी आदित्यनाथ ने नवंबर में लिया, जाते-जाते 2024 बहुत कुछ सिखा गया; अखिलेश को क्या मिला
- भाजपा को नवंबर में खुश होने का मौका मिला, जब उसने विधानसभा उपचुनावों में नौ सीटों में से सात पर जीत हासिल की, जिसमें मुस्लिम बहुल कुंदरकी और ओबीसी-दलित बहुल कटेहरी सीटें शामिल हैं। इस तरह 2024 का साल सपा से लेकर भाजपा तक के लिए कभी खुशी और कभी गम वाला रहा।
लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से ही उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए पॉलिटिकल पावर हाउस बनकर उभरा है। लेकिन 2024 का लोकसभा चुनाव यहां पर भाजपा के लिए झटके वाला रहा। PDA यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के नारे के साथ सपा और कांग्रेस ने भाजपा को 33 लोकसभा सीटों पर ही समेट दिया जो लगातार दो बार बड़ी सफलता हासिल कर चुकी थी। हालांकि भाजपा को नवंबर में खुश होने का मौका मिला, जब उसने विधानसभा उपचुनावों में नौ सीटों में से सात पर जीत हासिल की, जिसमें मुस्लिम बहुल कुंदरकी और ओबीसी-दलित बहुल कटेहरी सीटें शामिल हैं। इस तरह 2024 का साल सपा से लेकर भाजपा तक के लिए कभी खुशी और कभी गम वाला रहा। इसके अलावा भी कुछ घटनाएं ऐसी रहीं, जिन्होंने यूपी के अलावा देश भर में सुर्खियां बटोरीं।
अयोध्या में बीते बरस राम मंदिर का भव्य उद्घाटन, मंदिर-मस्जिद विवादों की झड़ी, पुराने मंदिरों की खोज और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बटेंगे तो कटेंगे’ सुर्खियों में रहे। 2024 में ही जुलाई में हाथरस में भगदड़ में 121 लोग मारे गए और नवंबर में झांसी मेडिकल कॉलेज के नवजात वार्ड में आग लगने से 10 शिशुओं की जलकर मौत हो गई। इसके अलावा एक और दिलचस्प मामला रहा। 8 दिसंबर को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर यादव की समान नागरिक संहिता और 'बहुमत' का समर्थन करने वाली टिप्पणी की विपक्ष ने कड़ी आलोचना की। स्पष्टीकरण देने के लिए न्यायमूर्ति शेखर यादव उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के समक्ष उपस्थित हुए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विहिप ने यूसीसी पर न्यायमूर्ति यादव के विचार का समर्थन किया। आदित्यनाथ ने जहां आलोचकों पर सवाल उठाए, वहीं वीएचपी चीफ आलोक कुमार ने कहा कि यदि न्यायाधीश ने बहुमत के बारे में टिप्पणी की होती, तो भी वे क्षमाप्रार्थी नहीं होते। यूपी में मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने सत्तारूढ़ भाजपा को 33 सीटों पर समेट दिया। नवंबर में उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनावों ने भाजपा को खुश होने का कारण दिया क्योंकि उसने नौ सीटों में से सात पर जीत हासिल की, जिसमें मुस्लिम बहुल कुंदरकी और ओबीसी-दलित बहुल कटेहरी सीटें शामिल हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की प्रभावशाली जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में कुंदरकी की जीत का उल्लेख था। हाल ही में, आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ताओं को यह बताने के लिए ‘कुंदरकी-कटेहरी मॉडल’ का हवाला दिया कि ‘अगर यह हो सकता है, तो भविष्य के चुनावों में कुछ भी असंभव नहीं है।’ मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव ने भी भाजपा को चौंकाया। यह विधानसभा क्षेत्र फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जिसमें भाजपा इस साल के शुरु में समाजवादी पार्टी (सपा) से हार गई थी। भाजपा के लिए चौंकाने वाली हार राम मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कुछ महीने बाद हुई। इस साल, सपा ने 37 लोकसभा सीटें जीतकर अपनी स्थिति मजबूत की। यह संख्या भाजपा से चार ज्यादा थी। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का पतन जारी रहा।
नवंबर में विधानसभा उपचुनावों में एक भी सीट न जीत पाने के बाद, बसपा अध्यक्ष और चार बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती ने घोषणा की। उनकी पार्टी भविष्य में तब तक उपचुनाव नहीं लड़ेगी, जब तक कि चुनाव आयोग ‘‘फर्जी मतदान’’ को रोकने के लिए कदम नहीं उठाता। उपचुनाव से पहले, आदित्यनाथ ने ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा दिया जो देखते ही देखते राज्य में भाजपा का पसंदीदा नारा बन गया। अक्टूबर में मथुरा में अपनी बैठक के दौरान राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने इसकी ‘भावना’ का समर्थन किया। यह नारा, प्रधानमंत्री मोदी के ‘एक हैं तो सुरक्षित हैं’ के नारे साथ, हिंदू एकता का नारा बन गया और भाजपा को उपचुनावों के साथ-साथ हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में भी इसका फ़ायदा हुआ, जहाँ पार्टी को प्रभावशाली जीत मिली।
संभल का विवाद दिल्ली तक पहुंचा, मोहन भागवत का भी आया बयान
नवंबर में संभल भी सुर्खियों में रहा, जब एक ऐतिहासिक मस्जिद के, न्यायालय के आदेश पर किए जा रहे सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। इसके बाद एक परित्यक्त मंदिर और एक मस्जिद की खोज की गई जिसमें एक ‘अवैध’ बिजली जनरेटर था। साथ ही कुछ कुओं से हिंदू देवी-देवताओं की टूटी हुई मूर्तियां मिलीं। इसके तुरंत बाद, परित्यक्त मंदिरों के बारे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों के दावों की झड़ी लग गई। उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद पर संघ प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणियों की भी आलोचना की। भागवत की टिप्पणियां दक्षिणपंथी समूहों से उनकी पिछली अपील का विस्तार थीं कि वे हर मस्जिद के नीचे मंदिर न ढूंढ़ें।
बहराइच में सांप्रदायिक तनाव, जुलूस में मारा गया रामगोपाल मिश्रा
सांप्रदायिक हिंसा भड़कने की चिंता के कारण अमेरिका में रहने वाले एक अंतरधार्मिक जोड़े को अलीगढ़ में दिसंबर में अपनी शादी का भोज समारोह रद्द करना पड़ा। बहराइच में दुर्गा पूजा जुलूस के दौरान एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद सांप्रदायिक तनाव देखा गया। सुल्तानपुर में एक आभूषण की दुकान में डकैती की घटना भी इस साल सुर्खियों में रही। आरोपियों को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया, जिसकी विपक्ष ने आलोचना की और दावा किया कि यह जाति-आधारित हत्या थी। सरकार ने इस आरोप का खंडन किया। सुल्तानपुर का एक साधारण मोची जुलाई में कांग्रेस नेता और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी से मुलाकात के बाद चर्चा में आ गया।