कैसे मायावती के चलते बिगड़े थे अटल और कल्याण सिंह के रिश्ते, बहनजी के बर्थडे पर पूरी कहानी
- कल्याण सिंह ने बसपा के बागियों और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बना ली। लेकिन यहीं से अटल और कल्याण के रिश्ते भी खराब हुए। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कल्याण सिंह को लगा था कि शायद अटल बिहारी वाजपेयी मायावती को ही सीएम बनाए रखने के पक्ष में हैं। ऐसा इसलिए ताकि मायावती का समर्थन दिल्ली में मिलता रहे।
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती इन दिनों अपने सबसे मुश्किल राजनीतिक दौर से गुजर रही हैं। उनकी पार्टी बसपा का सूबे की विधानसभा में महज एक विधायक है, जहां वह पूर्ण बहुमत की सरकार तक चला चुकी हैं। इसके अलावा लोकसभा में तो उनका कोई मेंबर ही नहीं है। फिर भी वह ऐसी नेता हैं और उनकी पार्टी की इतनी ताकत है, जो कभी भी वापसी करने का दम रखती है और नतीजों पर पूरा असर डालती है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव हों या फिर 2022 के विधानसभा चुनाव की बात हो, दोनों जगह बसपा के प्रदर्शन का असर दूसरे दलों पर भी साफ दिखा। कोई बसपा के चलते बन गया तो कोई बिगड़ ही गया। मायावती की यही खासियत रही है। उन्होंने एक तरफ दलित वोटरों में स्वाभिवान जगाकर वोट हासिल किए तो वहीं भाजपा जैसे दलों से समीकरण साधकर सत्ता की सीढ़ियां भी चढ़ीं।
भाजपा के समर्थन से ही मायावती ने शुरुआती दौर में सत्ता हासिल की थी। पहले 1995 में दोनों करीब आए और साथ ज्यादा नहीं चला। फिर 1997 में मायावती और भाजपा के बीच गठजोड़ हुआ, लेकिन 6 महीने में सत्ता बदलने वाले करार पर संघर्ष छिड़ गया। मायावती ने सीएम पद से हटकर कल्याण सिंह के लिए रास्ता बनाने से इनकार कर दिया। इस तरह फिर से गठबंधन टूट गया। कल्याण सिंह ने बसपा से समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई। फिर कल्याण सिंह ने बसपा के बागियों और अन्य दलों के सहयोग से सरकार बना ली। लेकिन यहीं से अटल बिहारी वाजपेयी और कल्याण सिंह के रिश्ते भी खराब हुए। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कल्याण सिंह को लगा था कि शायद अटल बिहारी वाजपेयी मायावती को ही सीएम बनाए रखने के पक्ष में हैं। ऐसा इसलिए ताकि मायावती का समर्थन दिल्ली में मिलता रहे।
इसी बीच 1999 का लोकसभा चुनाव आया। तब यूपी के सीएम कल्याण सिंह थे। उन्होंने कह दिया कि वाजपेयी पीएम बनने से पहले सांसद तो बन जाएं। माना जाता है कि इस बयान से अटल जी नाराज हुए। उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन कल्याण से उनकी फिर ज्यादा कभी नहीं बनी। यूपी में भाजपा को 1999 में 29 सीटें ही मिलीं, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से जीत गए। आरोप यहां तक लगे कि कल्याण सिंह ने मुलायम के साथ मिलकर नुकसान पहुंचाया है। इससे अटल और कल्याण के बीच रिश्ते और बिगड़ गए। माना जाता है कि इसी के चलते हालात ऐसे हुए कि अटल बिहारी वाजपेयी यहां तक अड़ गए कि कल्याण सिंह को सीएम पद से हटना होगा।
कल्याण सिंह के बचाव में लालकृष्ण आडवाणी आए और उन्होंने कहा कि यह ठीक नहीं होगा। भाजपा की दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी मीटिंग थी, जिसमें अटल बिहारी वाजपेयी लगातार अड़े रहे कि कल्याण सिंह को जाना होगा। अंत में 4 दिन बाद घोषणा की गई कि राम प्रकाश गुप्ता सीएम होंगे। इस फैसले से कल्याण सिंह फायर हो गए। उन्होंने बमुश्किल इस्तीफा दिया और दिल्ली से प्रमोद महाजन को भेजा गया था। यही नहीं अटल और कल्याण के रिश्ते इस प्रकरण के बाद इतने बिगड़े कि पूर्व सीएम ने वाजपेयी को ब्राह्मणवादी साजिशकर्ता तक करार दिया। उन्होंने कहा कि वाजपेयी ने मुझे सीएम पद से हटाने को अपनी प्रतिष्ठा से ही जोड़ लिया और वह मुझे किसी पोजिशन पर नहीं देखना चाहते। इसके बाद तो कल्याण सिंह पार्टी तक छोड़ गए। हालांकि दो बार उन्होंने ऐसा किया और अंत में भाजपा में ही लौटकर आए।