Hindi Newsदेश न्यूज़How a fugitive by court of law can maintain an Article 32 petition hot debate in Supreme Court in Zakir Naik case

एक भगोड़ा अदालत से कैसे कर सकता है अनुरोध? जाकिर नाइक की अर्जी पर SC में उठे गंभीर सवाल

खंडपीठ ने कहा कि राज्य को दायर किए जाने वाले हलफनामे में अपनी सभी प्रारंभिक आपत्तियां उठाने का अधिकार है लेकिन एसजी ने नाइक की याचिका में जिस प्रक्रियागत खामियों को उजागर किया है, उसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने भी चिन्हित किया है।

Pramod Praveen हिन्दुस्तान टाइम्स, उत्कर्ष आनंद, नई दिल्लीWed, 16 Oct 2024 04:52 PM
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महाराष्ट्र सरकार ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर उस याचिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिसमें नाइक ने 2012 में गणपति उत्सव के दौरान अपने कथित आपत्तिजनक बयानों को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ना सिर्फ जाकिर नाइक की इस याचिका को खारिज करने की मांग की बल्कि उसकी याचिका के औचित्य पर भी सवाल उठाया।

जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस एहसानुद्दीन अमानुल्ला और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि एक ऐसा व्यक्ति, जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत याचिका कैसे दायर कर सकता है। मेहता ने कहा कि जाकिर नाइक एक भगोड़ा है और वह सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप का हकदार नहीं है।

SG मेहता ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की तरफ से हुई गलतियों को भी चिन्हित किया और कहा कि याचिका पर जाकिर नाइक के हस्ताक्षर गायब हैं। जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ से मेहता ने कहा, “सवाल यह है कि क्या नाइक, जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, ऐसी राहत के लिए अनुच्छेद 32 के तहत याचिका (मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए) दायर कर सकता है।" उन्होंने कहा, "एक व्यक्ति जिसे न्यायालय द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया है, वह अनुच्छेद 32 की याचिका कैसे दायर कर सकता है?”

मेहता ने आगे कहा, “मुझे उसके वकील ने बताया कि वे मामला वापस ले रहे हैं। हमारा जवाब तैयार है।” इस पर नाइक की तरफ से पेश वकील ने कहा कि उसे मामला वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में विभिन्न राज्यों में दर्ज लगभग 43 प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है। नाइक के वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल के खिलाफ छह प्राथमिकी विचाराधीन हैं और वह इन्हें रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करेगा।

खंडपीठ ने कहा कि राज्य को दायर किए जाने वाले हलफनामे में अपनी सभी प्रारंभिक आपत्तियां उठाने का अधिकार है लेकिन एसजी ने नाइक की याचिका में जिस प्रक्रियागत खामियों को उजागर किया है, उसे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने भी चिन्हित किया है। इस पर मेहता ने कहा, “रजिस्ट्री ने अपनी कार्यालय रिपोर्ट में इस दोष को इंगित किया है कि उन्हें पहले यहां आकर याचिका पर हस्ताक्षर करने होंगे क्योंकि आखिरकार वह एक भगोड़ा है..तो क्या माननीय न्यायाधीश उस आपत्ति को माफ कर सकते हैं?"

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मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए नाइक के वकील एस हरिहरन ने कहा कि किसी भी अदालत ने नाइक को भगोड़ा घोषित नहीं किया है, चाहे वह घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय। उन्होंने पूछा, "मेरे मुवक्किल को भगोड़ा घोषित करने वाला अदालती आदेश कहां है? ऐसा कोई आदेश नहीं है...जहां तक ​​मामलों को एक साथ जोड़ने का सवाल है, शुरुआत में करीब 50 मामले थे जो अब घटकर चार रह गए हैं। अगर यह अदालत चाहे और अनुमति दे, तो हम इसे इस अदालत से वापस ले सकते हैं और क्षेत्राधिकार वाले उच्च न्यायालय में जा सकते हैं।"

इसके बाद शीर्ष अदालत ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि वह मामला जारी रखेगा या इसे वापस लेगा। इसके साथ ही अदालत ने मेहता से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। नाइक फिलहाल विदेश में है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कथित आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता की भी जांच कर रहा है।

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