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क्या है HMPV वायरस, क्या हैं लक्षण और कैसे करें बचाव; जानिए सबकुछ

  • HMPV virus: चीन में शुरू हुआ एचएमपीवी वायरस का कहर अब भारत तक पहुंच चुका है। आइए जानते हैं आखिर क्या हैं इसके लक्षण और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव।

Deepak लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 6 Jan 2025 01:55 PM
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HMPV virus: चीन में शुरू हुआ एचएमपीवी वायरस का कहर अब भारत तक पहुंच चुका है। कर्नाटक में दो मामलों की पुष्टि हो चुकी है। वहीं, महाराष्ट्र सरकार ने एडवाइजरी जारी कर दी है। केरल में भी निगाह रखी जा रही है। वहीं, केंद्र सरकार ने डब्लूएचओ से पहले ही कह दिया है कि हमें समय से सारी अपडेट्स देते रहें। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि एचएमपीवी वायरस है क्या और इसके सिम्पटम्स क्या हैं?

कैसे हो रहे प्रभावित
ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) फेफड़ों को प्रभावित कर रहा है। इसके चलते फ्लू जैसा संक्रमण होता है। यह वायरस ठंड के मौसम में ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। यह प्रभावित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से इस वायरस का खतरा हो सकता है। जहां तक इसके लक्षणों की बात है तो इसमें खांसी, बुखार, गले में खराश, नाक का बहना या नाक का जाम हो जाना आदि हैं। कुछ केसेज में सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।

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किसके लिए खतरनाक
यह कम उम्र के बच्चों, कमजोर इम्यूनिटी वालों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक हो सकता है। फेफड़ों की बीमारी से परेशान लोगों के लिए भी यह खतरनाक हो सकता है। वहीं, एचएमपीवी से प्रभावित होने वाले कुछ लोगों में न्यूमोनिया या ब्रोंकोलाइटिस जैसे खतरनाक लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं। यह वायरस फेफड़ों को प्रभावित करने वाले अन्य वायरस जैसा ही है। अमेरिकी लंग एसोसिएशन ने एचएमवी को एक्यूट रैस्पिरेटरी इंफेक्शन के तौर पर पहचाना है। खासतौर पर बच्चों के लिए यह खतरनाक है। सबसे पहले इस वायरस की पहचान साल 2001 में नीदरलैंड में शोधकर्ताओं द्वारा की गई थी। यह जाड़ों में और स्प्रिंग सीजन में फेफड़ों की बीमारी के लिए अहम कारण माना गया है।

क्या रखें सावधानी
अभी तक एचएमवीपी वायरस के लिए कोई वैक्सीन या एंटीवायरल इलाज उपलब्ध नहीं है। हालांकि बहुत से लोग आराम करके और हाइड्रेशन से ठीक हो जा रहे हैं। लेकिन गंभीर मामलों में हॉस्पिटल में भर्ती कराने और ऑक्सीजन थेरेपी की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसको लेकर पैनिक होने की जरूरत नहीं है। इसके मुताबिक जाड़े के मौसम में विशेष सतर्कता बरतकर इससे बचाव किया जा सकता है।

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