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मुस्लिम जज तो हटा न सके, आपने कैसे हटाया; HC चीफ जस्टिस के घर मंदिर हटने पर बवाल, CJI से गुहार

शिकायती चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस कैत से पहले इस सरकारी आवास में कई मुस्लिम चीफ जस्टिस भी रहे लेकिन उन लोगों ने ना तो इस पर ऐतराज जताया और ना ही इसे हटवाया।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 27 Dec 2024 02:49 PM
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मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के सरकारी आवास से एक मंदिर हटाए जाने पर बवाल बढ़ गया है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। वकीलों के संघ ने इस मामले में अब देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना से गुहार लगाई है। बार एसोसिएशन ने सीजेआई खन्ना को पत्र लिखकर इस मामले की जांच करने और इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है।

CJI को लिखी चिट्ठी के अनुसार, एमपी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सरकारी बंगले में स्थित हनुमान मंदिर ऐतिहासिक था। वहां हाई कोर्ट के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीश पूजा-अर्चना किया करते थे, जिनमें जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस हेमंत गुप्ता भी शामिल रहे हैं। ये सभी लोग बाद में प्रमोशन पाकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। इनके अलावा मुख्य न्यायाधीश के आवास में काम करने वाले कई कर्मचारी भी मंदिर में पूजा-अर्चना किया करते थे।

शिकायती चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस कैत से पहले इस सरकारी आवास में कई मुस्लिम चीफ जस्टिस भी रहे लेकिन उन लोगों ने ना तो इस पर ऐतराज जताया और ना ही इसे हटवाया। फिर अब इसे क्यों हटाया गया है। चिट्ठी में कहा गया है कि जस्टिस रफत आलम और जस्टिस रफीक अहमद भी बतौर मुख्य न्यायाधीश इसी आवास में रहे लेकिन उन्होंने कभी भी इस मंदिर पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बार एसोसिएशन ने CJI को लिखी अपनी चिट्ठी में कहा है कि चीफ जस्टिस का बंगला और उस बंगले में मंदिर यानी दोनों सरकारी संपत्ति है। कई बार उस मंदिर का पुनर्निर्माण भी सरकारी धन से किया गया है। इसलिए, सरकार की इजाजत के बिना या किसी वैधानिक आदेश के बिना उसे ध्वस्त नहीं किया जाना चाहिए था। चिट्ठी में ये भी कहा गया है कि उस बंगले में सनातन धर्म को मानने वाले अधिकांश मुख्य न्यायाधीश और कर्मचारी रहते रहे हैं। इसलिए उन्हें अपनी धार्मिक पूजा-अर्चना के लिए दूर जाकर अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करना पड़ सकता है। ऐसा कृत्य सनातन धर्म के अनुयायियों का अपमान है।

बार एसोसिएशन द्वारा चिट्ठी लिखे जाने से पहले अधिवक्ता रवींद्र नाथ त्रिपाठी ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सीजेआई और केंद्रीय कानून मंत्री को शिकायती पत्र लिखकर इसी मुद्दे पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। इसी को आधार बनाकर अब एमपी हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने CJI को चिट्ठी लिखी है। त्रिपाठी की शिकायत के अनुसार, मंदिर परिसर में लंबे समय से स्थापित हनुमान मंदिर को जस्टिस कैत ने इसे ध्वस्त करवा दिया है।

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उन्होंने शिकायत में ये भी कहा है कि यह उनकी निजी संपत्ति नहीं है, और उन्हें ऐसा करने का अधिकार नहीं था। उनकी शिकायत के अनुसार, अब एक अन्य वकील ने मुख्य न्यायाधीश के कृत्य से प्रेरित होकर राज्य भर के पुलिस थानों से सभी मंदिरों को हटाने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है।

बता दें कि तीन महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे सुरेश कुमार कैत को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त किया था। इनसे पहले जस्टिस संजीव सचदेवा एमपी हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे। कैत हरियाणा के कैथल जिले के निवासी हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में रहते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने जामिया हिंसा और सीएए विरोध जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है।

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