फिर विजयरथ पर सवार भाजपा, कैसे फीकी पड़ गई इंडिया गठबंधन की चमक; बिहार का इम्तिहान अभी बाकी
- ये दल भले ही भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन एक दशक बाद भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोकना भी उनके लिए उपलब्धि थी।
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लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन की बदौलत विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत राजग के समक्ष एक बड़ी चुनौती के रूप में उभरा था। अब इस गठबंधन के घटक दलों की आपसी कलह तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पहले महाराष्ट्र और हरियाणा और अब दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जीत ने इसकी चमक को फीका कर दिया है।
राज्यों में एक दूसरे के विरोधी हैं गठबंधन के साथी
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए ‘इंडिया’ गठबंधन में कई ऐसे दल साथ आए थे, जो राज्यों में एक दूसरे के विरोधी हैं। ये दल भले ही भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन एक दशक बाद भाजपा को अपने दम पर बहुमत हासिल करने से रोकना भी उनके लिए उपलब्धि थी।
राज्यों की लड़ाई से गठबंधन में दरारें
‘इंडिया’ गठबंधन के बनते समय इसके घटक दलों ने बार-बार इस बात पर जोर दिया था कि गठबंधन राष्ट्रीय चुनाव के लिए है और बाद में यह राज्य के आधार पर होगा। हालांकि, इस गठबंधन ने यह कल्पना नहीं की थी कि राज्यों में उनकी राजनीतिक लड़ाई इस हद तक जा सकती है कि गठबंधन में दरारें पड़ जाएं। इस गठबंधन के घटक दलों के आपसी टकराव की सबसे जीवंत मिसाल दिल्ली का विधानसभा चुनाव है, जहां कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के खिलाफ आक्रामक चुनाव अभियान चलाया।
केजरीवाल को पर खूब बरसे कांग्रेस नेता
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ‘‘शराब घोटाले के सूत्रधार’’ और ‘‘शीश महल’’ जैसे कटाक्ष के साथ आप और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल पर हमले किए। समाजवादी पार्टी (एसपी) और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जैसी ‘इंडिया’ गठबंधन की पार्टियों ने दिल्ली में इस आधार पर आप का समर्थन किया था कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए केजरीवाल की पार्टी की मजबूत स्थिति में है।
बिहार के बाद इन राज्यों में होगी परीक्षा
अब कुछ महीने बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होना है, जहां यह गठबंधन फिलहाल बरकरार नजर आ रहा है, लेकिन आने वाले वर्षों में पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस गठबंधन का इम्तिहान होगा। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्षी गठबंधन के घटक दलों पर तीखी टिप्पणी की। अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर एक मीम के साथ पोस्ट किया, ‘‘और लड़ो आपस में।’’
भाजपा ने बदली रणनीति
ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ यानी ‘इंडिया’ का गठन किया था। कांग्रेस और आप ने गठबंधन के तहत दिल्ली में लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन विधानसभा चुनाव में दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा। हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद दिल्ली में भाजपा को मिली जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाली भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद यहां केजरीवाल से मात खा जाती थी। इसलिए, भाजपा ने चुनावी घोषणाओं के अलावा इस बार अपनी रणनीति में भी बदलाव किया और किसी चेहरे को आगे नहीं किया। पहले के चुनावों में भाजपा ने एक बार पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी को और एक बार पूर्व केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था।
दिल्ली हार पूरे विपक्ष को झटका- योगेंद्र यादव
स्वराज इंडिया पार्टी के सह-संस्थापक और चुनाव विश्लेषक योगेंद्र यादव ने शनिवार को कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की हार न केवल पार्टी के लिए बल्कि पूरे विपक्ष के लिए झटका है। उन्होंने कहा कि नतीजों से पार्टी के भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि अब यह केवल पंजाब तक ही सीमित रह गई है। आप के संस्थापक सदस्यों में से एक यादव को 2015 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। यादव ने कहा कि यह उन सभी लोगों के लिए भी झटका है जो देश में वैकल्पिक राजनीति का सपना देखते थे। उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ आप के लिए ही नहीं बल्कि उन सभी के लिए झटका है जिन्होंने 10-12 साल पहले इस देश में वैकल्पिक राजनीति का सपना देखा था। यह आप का समर्थन करने वाली सभी पार्टियों और देश के समूचे विपक्ष के लिए झटका है।’’
‘इंडिया’ गठबंधन में मतभेदों ने भाजपा की जीत का रास्ता साफ किया
माकपा और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने निराशा व्यक्त की और कहा कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में मतभेदों ने राष्ट्रीय राजधानी में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन का मार्ग प्रशस्त किया। माकपा और आईयूएमएल दोनों ही ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हैं। माकपा ने कांग्रेस पर जोरदार हमला किया और उस पर दिल्ली में भाजपा की जीत में मदद करने का आरोप लगाया। हालांकि, आईयूएमएल ने सीधे तौर पर कांग्रेस की आलोचना नहीं की, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि अगर ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी एकजुट होकर चुनाव लड़ते, तो वे भाजपा को सत्ता में आने से सफलतापूर्वक रोक सकते थे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के वरिष्ठ नेता और केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ के संयोजक टी पी रामकृष्णन ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रभावी समन्वय के लिए अनुकूल कदम नहीं उठाए। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कांग्रेस की ओर से कोई समर्थन नहीं मिला। अगर पार्टी ने पहल की होती तो गठबंधन अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकता था। लेकिन, देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई।’’