संविधान में SC-ST के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोली सरकार
- सरकार की ओर से कहा गया कि SC-ST को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण मिलता है, जिसमें OBC की तर्ज पर क्रीमी लेयर का प्रावधान करने का कोई विचार नहीं है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को यह साफ कर दिया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए क्रीमी लेयर का प्रावधान करने का विचार नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों को सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण मिलता है, जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की तर्ज पर क्रीमी लेयर का प्रावधान करने का कोई विचार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में शुक्रवार शाम हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया।
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल ने आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के हाल में आए आदेश पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस दौरान एससी की ओर से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में दिए गए सुझावों पर भी बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
'बाबा साहेब के संविधान के प्रति पूरी तरह वचनबद्ध'
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार बाबा साहेब के संविधान के प्रति पूरी तरह वचनबद्ध है। चर्चा के बाद मंत्रिमंडल का एकमत है कि संविधान के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान का सरकार का कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि यह व्यवस्था संविधान के अनुरूप ही होनी चाहिए। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने एक आदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति में आरक्षण के संदर्भ में जातियों के वर्गीकरण की अनुमति दे दी है। 7 न्यायाधीशों की संविधान पीठ के कुछ जजों ने अपनी टिप्पणियों में इन वर्गों में क्रीमी लेयर के प्रावधान का भी सुझावा दिया है।
विपक्ष समाज को न करे गुमराह: कानून मंत्री
इससे पहले, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आज लोकसभा में कहा कि विपक्षी दल एससी-एसटी के अंदर उप-वर्गीकरण की राज्यों को अनुमति देने संबंधी SC की टिप्पणी को लेकर समाज को गुमराह नहीं करें। सदन में प्रश्नकाल के दौरान शिवसेना (यूबीटी) के सदस्य भाऊसाहेब वाकचौरे के पूरक प्रश्न का उन्होंने उत्तर दिया। मेघवाल ने कहा कि न्यायालय ने कोई फैसला नहीं दिया है, सिर्फ टिप्पणियां की हैं। उन्होंने कहा, ‘एससी-एसटी के उप-वर्गीकरण में क्रीमी लेयर का संदर्भ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की टिप्पणी है, न कि फैसले का हिस्सा। सदस्य को समाज को गुमराह करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।’