भारत के चुनावों में मतदान बढ़ाने के लिए US ने दिए करोड़ों रुपये? क्या बोले पूर्व CEC एसवाई कुरैशी
- अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकार कार्यदक्षता विभाग (DOGE) ने खर्च में सिलसिलेवार कटौतियों की घोषणा की है, जिसमें भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का भी जिक्र है।
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पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एसवाई कुरैशी ने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया कि जब वह निर्वाचन आयोग के प्रमुख थे, तब भारत के चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी के धन का इस्तेमाल किया गया। दरअसल, अरबपति एलन मस्क के नेतृत्व वाले अमेरिकी सरकार कार्यदक्षता विभाग (DOGE) ने खर्च में सिलसिलेवार कटौतियों की घोषणा की है जिसमें भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए आवंटित 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर (182 करोड़ रुपये) का भी जिक्र है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने मस्क को नए सरकारी कार्यदक्षता विभाग का प्रमुख चुना था। शासन में सुधार और फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के लिए विभाग ने एक्स पर एक पोस्ट में इस कटौती की घोषणा की। विभाग ने कहा, ‘अमेरिकी करदाताओं के पैसे निम्नलिखित मदों पर खर्च किए जाने वाले थे, जिनमें से सभी को रद्द कर दिया गया है।’ सूची में चुनाव और राजनीतिक प्रक्रिया सुदृढ़ीकरण के लिए समूह को 48.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर का अनुदान शामिल था। इसमें मोल्दोवा में समावेशी और भागीदारीपूर्ण राजनीतिक प्रक्रिया के लिए 2.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर और भारत में चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर शामिल थे।
कुरैशी बोले- जब मैं मुख्य निर्वाचन आयुक्त था, तब...
एसवाई कुरैशी ने एक बयान में कहा, ‘वर्ष 2012 में जब मैं मुख्य निर्वाचन आयुक्त था, तब भारत में चुनावों में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अमेरिकी एजेंसी से कुछ करोड़ डॉलर के वित्तपोषण की बात गलत है। इसके लिए आयोग से समझौता ज्ञापन के बारे में मीडिया के एक वर्ग में आई रिपोर्ट में रत्ती भर भी तथ्य नहीं है।’ उन्होंने कहा कि 2012 में जब वह मुख्य निर्वाचन आयुक्त थे, तब इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर इलेक्टोरल सिस्टम्स के साथ समझौता ज्ञापन हुआ था, जैसे निर्वाचन आयोग ने कई अन्य एजेंसियों और चुनाव प्रबंधन निकायों के साथ किया था। ताकि, इच्छुक देशों को आयोग के प्रशिक्षण और संसाधन केंद्र इंडिया इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डेमोक्रेसी एंड इलेक्शन मैनेजमेंट में प्रशिक्षण की सुविधा दी जा सके। कुरैशी ने कहा, ‘कोई राशि तो छोड़िये, एमओयू में किसी तरह का वित्तपोषण या धन का वादा तक शामिल नहीं था।’