एक देश, एक चुनाव के खिलाफ 5 CM लामबंद, केंद्र सरकार की मंशा पर उठाए सवाल; किसने क्या कहा
One Nation One Election: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने के संबंध में सिफारिशें की थीं, जिन्हें सितंबर में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया था।
One Nation One Election: एक देश, एक चुनाव के खिलाफ विपक्ष शासित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इसकी अवधारणा और मंशा पर सवाल उठाए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को केंद्र सरकार पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के फैसले को लेकर तीखा हमला बोला और इस कदम को "असंवैधानिक और संघीय व्यवस्था विरोधी" करार दिया। बनर्जी ने ‘एक्स’ पर एक ‘पोस्ट’ में आरोप लगाया कि प्रस्तावित ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक सत्ता को केंद्रीकृत करने और भारत के लोकतंत्र को कमजोर बनाने का एक प्रयास है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘‘एक देश, एक चुनाव’’ को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने एक साथ चुनाव कराने के संबंध में सिफारिशें की थीं, जिन्हें सितंबर में मंत्रिमंडल ने स्वीकार कर लिया था।
बनर्जी ने लिखा, “केंद्रीय मंत्रिमंडल ने असंवैधानिक और संघीय ढांचे के विरोधी ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है, जिसमें विशेषज्ञों और विपक्षी नेताओं की हर वैध चिंता को नजरअंदाज किया गया है। यह कोई सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद लिया गया फैसला नहीं है। इसे भारत के लोकतंत्र और संघीय ढांचे को कमजोर करने के लिए यह थोपा गया है।” उन्होंने कहा, “हमारे सांसद संसद में इस काले कानून का पुरजोर विरोध करेंगे। बंगाल दिल्ली की तानाशाही सनक के आगे कभी नहीं झुकेगा। यह लड़ाई भारत के लोकतंत्र को निरंकुशता के चंगुल से बचाने के लिए है!”
वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि भाजपा नीत केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की बात करती है, लेकिन दो राज्यों में एक साथ चुनाव कराने में भी असमर्थ है। उन्होंने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, "वे 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की बात करते हैं, लेकिन 'दो राज्य, एक चुनाव' भी नहीं करा सकते। इसका मतलब है कि उनके मन में कुछ और चल रहा होगा।”
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि यह "अव्यावहारिक" और "लोकतंत्र विरोधी" कदम है, जो क्षेत्रीय दलों और संघवाद को खत्म कर देगा। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, "यह अव्यावहारिक और लोकतंत्र विरोधी कदम क्षेत्रीय आवाजों को मिटा देगा, संघवाद को नष्ट कर देगा और शासन को बाधित करेगा।”
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बृहस्पतिवार को 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को भाजपा का एजेंडा बताया और कहा कि इसके निहितार्थों को देखने की जरूरत है। सोरेन ने विधानसभा परिसर में पत्रकारों से कहा, "उनके (भाजपा नीत राजग) पास बहुमत है और वे कोई भी निर्णय ले सकते हैं। लेकिन, इसके निहितार्थ और परिणाम को समझने की जरूरत है।"
कांग्रेस शासित कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी एक राष्ट्र, एक चुनाव (ONOE) विधेयक पेश करने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की आलोचना की है और इस कदम को संसदीय लोकतंत्र और भारत के संघीय ढांचे पर हमला बताया है। उन्होंने एक बयान में कहा कि यह फैसला राज्यों के अधिकारों पर अंकुश लगाने की एक भयावह साजिश है। उन्होंने कहा, “ऐसे समय में जब मौजूदा चुनावी व्यवस्था में सुधारों की सख्त जरूरत है, ऐसे विधेयक से लोकतंत्र की नींव और कमजोर होगी। ऐसे महत्वपूर्ण विधेयक को मंजूरी देने से पहले मोदी सरकार को विपक्षी दलों और राज्य सरकारों से सलाह लेनी चाहिए थी। हालांकि, अपनी सत्तावादी प्रवृत्ति के अनुरूप, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस अलोकतांत्रिक प्रस्ताव को देश पर थोपने की कोशिश कर रही है।”
आम आदमी पार्टी (आप) ने भी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' की अवधारणा पर सवाल उठाए हैं। ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने“एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "देश को एक राष्ट्र, एक शिक्षा और एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की जरूरत है, न कि एक राष्ट्र, एक चुनाव की। यह भाजपा की गलत प्राथमिकताओं को दर्शाता है।"
तेलंगाना में विपक्षी दल भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कहा कि वह 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक पर कोई रुख अपनाने से पहले अधिक स्पष्टता चाहती है। बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव ने कहा कि 2017 में जब एक साथ चुनाव कराने को लेकर बैठक बुलाई गई थी, तब बीआरएस ने इस अवधारणा का समर्थन किया था। उन्होंने कहा, "लेकिन यह मोदी 3.0 है, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तीसरी सरकार। मुझे नहीं पता कि उनके मन में क्या है। हम संघवाद के पक्के समर्थक हैं और क्षेत्रीय दलों की आवाज को सुने जाने का पुरजोर समर्थन करते हैं। हमें इंतजार करके देखना होगा कि विधेयक का रूप क्या होगा।” (भाषा इनपुट्स के साथ)