बजट में EVM को भी मिले पैसे, इतने करोड़ में खरीदी जाएंगी वोटिंग मशीनें; कितनी होती है लाइफ?
- संसदीय चुनावों के मामले में पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है, जबकि विधानसभा चुनावों का खर्च संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है।
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केंद्रीय बजट 2025-26 में 2024 के लोकसभा चुनाव कराने और निर्वाचन आयोग के लिए नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की खरीद के लिहाज से आगे के खर्च को पूरा करने के लिए कानून मंत्रालय को 1,400 करोड़ रुपये से अधिक आवंटित किए गए हैं। कानून मंत्रालय में विधायी विभाग निर्वाचन आयोग (ईसी), चुनाव, चुनावी कानूनों और आयोग में सदस्यों की नियुक्ति के लिए नोडल एजेंसी है।
शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट के अनुसार, कानून मंत्रालय को लोकसभा चुनाव के लिए 500 करोड़ रुपये, मतदाताओं के लिए पहचान पत्र के लिहाज से 300 करोड़ रुपये और ‘अन्य चुनाव खर्चों’ के लिए 597.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
इसके अलावा, चुनाव निगरानी संस्था द्वारा नई इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की खरीद के लिए 18.72 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। एक ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट और एक पेपर ट्रेल मशीन होती है। संसदीय चुनावों के मामले में पूरी राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है, जबकि विधानसभा चुनावों का खर्च संबंधित राज्य सरकारों द्वारा वहन किया जाता है।
ईवीएम के लिए प्रावधान का उद्देश्य निर्वाचन आयोग (ईसी) को बैलट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) इकाइयों की खरीद और ईवीएम पर सहायक व्यय तथा पुरानी ईवीएम को नष्ट करने के लिए धन उपलब्ध कराना है।
ईवीएम का जीवनकाल (लाइफ) 15 वर्ष होता है, जिसके बाद उन्हें आयोग की तकनीकी विशेषज्ञ समिति की निगरानी में नष्ट कर दिया जाता है। पिछले वर्ष मार्च में घोषित लोकसभा चुनाव सात चरणों में हुए थे, जिसमें लगभग 97 करोड़ लोग मतदान करने के पात्र थे।