Hindi Newsदेश न्यूज़Enforcement Directorate officer Vishal Deep alleged being victimised at the behest of CBI

उनका भंडाफोड़ न हो जाए, इसलिए मुझे फंसा रही CBI; ईडी अधिकारी ने लगाए गंभीर आरोप

  • विशाल दीप ने चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में दायर अपनी अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया कि उन्हें एक भ्रष्टाचार मामले में झूठा फंसाया गया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, चंडीगढ़Tue, 14 Jan 2025 03:29 PM
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी विशाल दीप ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पर गंभीर आरोप लगाया है। ईडी अधिकारी ने कहा है कि उन्हें सीबीआई अधिकारियों द्वारा किए गए कथित अवैध कृत्यों की जांच के कारण प्रताड़ित किया जा रहा है। विशाल दीप ने चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में दायर अपनी अग्रिम जमानत याचिका में दावा किया कि उन्हें एक भ्रष्टाचार मामले में झूठा फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि यह मामला वरिष्ठ सीबीआई अधिकारियों और शिकायतकर्ताओं को बचाने के उद्देश्य से दर्ज किया गया है, जो स्वयं भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त थे। विशेष सीबीआई न्यायाधीश अल्का मलिक ने सीबीआई को 14 जनवरी को मामले पर सुनवाई के लिए अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

दो एफआईआर दर्ज, रिश्वत के आरोप

सीबीआई ने विशाल दीप के खिलाफ रिश्वतखोरी के मामले में दो एफआईआर दर्ज की हैं। आरोप 22 दिसंबर 2024 को सामने आए थे। यह शिकायतें देव भूमि ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स, ऊना के अध्यक्ष भूपिंदर कुमार शर्मा और हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशन्स, सिरमौर के अध्यक्ष रजनीश बंसल द्वारा की गई थीं। इन दोनों ने आरोप लगाया कि दीप और अन्य ईडी अधिकारियों ने उनकी गिरफ्तारी रोकने के लिए रिश्वत की मांग की थी।

हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले की जांच

वहीं अपनी याचिका में दीप ने कहा कि वह शिमला में ईडी के सहायक निदेशक-II के रूप में हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े अपराधों की जांच कर रहे थे। जांच के दौरान, उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई के डीएसपी और एक शिकायतकर्ता ने उन्हें रिश्वत लेने के लिए उकसाने की कोशिश की। सीबीआई के डीएसपी घोटाले में पहले जांच अधिकारी थे।

दीप ने दावा किया कि रिश्वत लेने से इनकार करने पर सीबीआई डीएसपी ने उन्हें झूठे मामले में फंसाने और खराब जगह पर ट्रांसफर करने की धमकी दी। इसके बावजूद, दीप ने रिश्वत लेने से इनकार कर दिया और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 66 के तहत एक गोपनीय जांच शुरू की। ईडी अधिकारी का कहना है कि सीबीआई अधिकारियों के अवैध कृत्यों का भंडाफोड़ न हो जाए इसलिए उन्हें टारगेट किया जा रहा है।

अवैध तलाशी का आरोप

दीप ने आरोप लगाया कि 23 दिसंबर 2024 को सीबीआई अधिकारियों ने उनके घर और कार्यालय की अवैध तलाशी ली। उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने बिना वारंट और महिला कांस्टेबल के उनके घर में प्रवेश किया, जबकि उस समय उनकी पत्नी, बच्चे और बुजुर्ग माता-पिता मौजूद थे। दीप ने यह भी दावा किया कि तलाशी के दौरान सीबीआई ने उनके पास मौजूद सबूत जब्त कर लिए, जिनसे सीबीआई अधिकारियों और शिकायतकर्ताओं की भूमिका का खुलासा हो सकता था।

रिश्वत की राशि अन्य स्थान से बरामद

दीप ने अपनी याचिका में कहा कि उनके आवास से कोई बरामदगी नहीं हुई और उनकी गिरफ्तारी के दौरान कोई सबूत नहीं मिला। उन्होंने यह भी बताया कि कथित रिश्वत की राशि किसी अन्य स्थान से बरामद की गई थी और उनके खिलाफ कोई फोन रिकॉर्ड या अन्य सबूत नहीं हैं। दीप ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पूर्वाग्रह से प्रेरित और दुर्भावनापूर्ण थीं। उन्होंने इसे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और शिकायतकर्ताओं को बचाने का प्रयास बताया।

बता दें कि चार दिन पहले ही मुंबई की एक विशेष अदालत ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी विशाल दीप को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया और इस संबंध में की गई कार्रवाई में “कई बड़ी मौलिक खामियों” को रेखांकित किया।

विशेष न्यायाधीश बीवाई फड ने ईडी की शिमला इकाई के सहायक निदेशक विशाल दीप की ‘ट्रांजिट रिमांड’ के अनुरोध वाली सीबीआई की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि उन पर लगाए गए आरोप ‘‘साबित नहीं किए जा सके हैं।’’ सीबीआई की चंडीगढ़ इकाई ने हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस के खिलाफ ईडी की जांच से उपजे भ्रष्टाचार के मामले में दीप को मंगलवार को मुंबई से गिरफ्तार किया था।

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सीबीआई ने दावा किया था कि दीप ने हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन रजनीश बंसल को धन शोधन से जुड़े मामले में गिरफ्तार न करने के एवज में उनसे 1.1 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी। दीप को राहत देते हुए अदालत ने बुधवार को फैसला सुनाया और बाद में आदेश की विस्तृत प्रति उपलब्ध कराई गई। विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष केस डायरी पेश करने में नाकाम रहा, जिससे उसका ‘‘मामला कमजोर हो गया है।’’ अदालत ने ईडी अधिकारी को 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया।

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