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एकनाथ शिंदे के हाथ तीर-कमान, उद्धव ठाकरे पर निशाना; दशहरा रैली को लेकर छिड़ा संग्राम

दशहरे के मौके पर शिवसेना के दोनों गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ही गुट शनिवार को रैलियों के जरिए अपनी ताकत दिखाने वाले हैं। जहां, सीएम शिंदे की सेना आजाद मैदान में रैली करेंगे।

Deepak लाइव हिन्दुस्तानSat, 12 Oct 2024 07:53 AM
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दशहरे के मौके पर शिवसेना के दोनों गुट एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। दोनों ही गुट शनिवार को रैलियों के जरिए अपनी ताकत दिखाने वाले हैं। जहां, सीएम शिंदे की सेना आजाद मैदान में रैली करेंगे। वहीं, ठाकरे गुट शिवाजी पार्क में जुटेगा, जो ओरिजनल जगह है। मैदान पर लगने वाले पोस्टरों से आगे बढ़कर इस बार इनकी लड़ाई सोशल मीडिया तक पहुंच गई है। दोनों ही गुटों ने वीडियो ट्रेलर रिलीज किए हैं, जिसमें खुद को असली शिवसेना बता रहे हैं। शिंदे की शिवसेना ने अपने वीडियो में ठाकरे गुट पर निशाना साधा है। इसमें दिखाया गया है कि शिवसेना-यूबीटी ने कांग्रेस और एनसीपी गुट से गठबंधन करके शिवसेना के टाइगर को वश में कर लिया है।

वीडियो में नजर आ रहा है कि उद्धव ठाकरे हाथ में कांग्रेस का सिम्बल पकड़े हैं। उससे जुड़ी रस्सी से टाइगर बंधा है, जिसकी पीठ पर शिवसेना लिखा है। तभी वीडियो में सीएम शिंदे की एंट्री होती है। वह धनुष-बाण से उस रस्सी को काट देते हैं, जो उद्धव ठाकरे के हाथ में है। इसके बाद शिवसेना का बाघ शिंदे के गले लग जाता है। वीडियो के साथ लिखी पोस्ट में कहा गया है कि शिवसेना की दशहरा रैली होने वाली है। मराठी हमारी सांस हैं, हिंदुत्व हमारा जीवन है। चलिए आजाद मैदान चलें।

उद्धव ठाकरे की सेना ने भी कुछ इसी तरह के वीडियो शेयर किए हैं। इनमें लोगों को दशहरा रैली के लिए आमंत्रित किया गया है। वीडियो के टीजर में पार्टी महाराष्ट्र के गौरव को बचाने की बात कर रही है। साथ ही धोखेबाजों को दफन करने की बात कर रही है। इसमें इशारा उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों की तरफ है। अनुमान है कि रैली के दौरान उद्धव ठाकरे भाजपा के ऊपर अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाएंगे। एक ऐसी ही पोस्ट में उद्धव सेना ने लिखा है कि जहां ठाकरे हैं, वहीं शिवसेना है। जहां शिवतीर्थ है, वहीं दशहरा रैली होनी चाहिए। दोनों सेना की रैलियों के अलावा इसी दिन आरएसएस चीफ मोहन भागवत और मराठा एक्टिविस्ट मनोज जरांगे भी रैली कर रहे हैं।

रैलियों का राजनीतिक मतलब
बालासाहब की दशहरा रैलियां सामाजिक के साथ-साथ राजनीतिक संदेश देने वाली भी रही हैं। इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए इनका महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। यह रैलियां 1960 से लगातार हो रही हैं। इस बार दोनों ही गुट बड़ी से बड़ी संख्या में अपने समर्थकों को यहां पर जुटाना चाहेंगी। जून 2022 में शिवसेना में दो-फाड़ होने के बाद से उद्धव ठाकरे का गुट शिवाजी पार्क में रैली करता रहा है। वहीं, शिंदे की सेना ने पहले साल तो बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स के एमएमआरडीए ग्राउंड में रैली की। बाद में शिंदे गुट आजाद मैदान में रैली करने लगा।

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