Hindi Newsदेश न्यूज़Digital Arrest Case in Bengaluru engineer lost 12 crore rupees in digital arrest Cheating fear of Supreme Court

इंजीनियर ने डिजिटल अरेस्ट में गंवा दिए 12 करोड़, SC का डर दिखाकर ठगी; रहें सावधान

  • बेंगलुरु में इंजीनियर से फर्जी पुलिस बनकर जालसाजों ने सुप्रीम कोर्ट का डर दिखाकर 11.8 करोड़ की ठगी कर दी। पीड़ित का आरोप है कि उसे पुलिस अधिकारी बनकर जालसाजों ने कई बार कॉल किया।

Gaurav Kala बेंगलुरु, पीटीआईMon, 23 Dec 2024 05:16 PM
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इंजीनियर ने डिजिटल अरेस्ट में गंवा दिए 12 करोड़, SC का डर दिखाकर ठगी; रहें सावधान

Digital Arrest Case: बीते कुछ समय से डिजिटल अरेस्ट से जुड़ी कई धोखाधड़ी सामने आ रही है। ठगों से बचने के लिए सरकार द्वारा मोबाइल पर अभियान भी चलाया जा रहा है। बावजूद इसके धोखाधड़ी थमने का नाम नहीं ले रही है। बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो गया। पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को जानकारी दी कि 39 वर्षीय पीड़ित से फर्जी पुलिस बनकर जालसाजों ने सुप्रीम कोर्ट का डर दिखाकर 11.8 करोड़ की ठगी कर दी। पीड़ित का आरोप है कि उसे पुलिस अधिकारी बनकर जालसाजों ने दावा किया कि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक खाते खोलने के लिए उसके आधार कार्ड का दुरुपयोग किया जा रहा है। धोखाधड़ी 25 नवंबर से 12 दिसंबर के बीच हुई।

हैलो! मैं फलां थाने से फलां पुलिस अधिकारी बोल रहा हूं... आप मोबाइल पर ज्यादा पोर्न देखते हैं। आपके खिलाफ फलां पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। आपको अगर गिरफ्तारी से बचना है तो इतनी रकम इस बैंक खाते में ट्रांसफर कर दो। कई बार पीड़ितों को कोर्ट का डर दिखाकर या मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे आरोपों का हवाला देकर ठगा जाता है। इस तरह की ठगी में सामने वाले के पास आपकी पूरी डिटेल होती है और आप उस पर यकीन करने को मजबूर हो जाते हैं। डिजिटल अरेस्ट जालसाजों द्वारा किसी को ब्लैकमेल करने का नया तरीका है। इसमें लोगों को ऑनलाइन धमकी देकर पैसे ऐंठे जाते हैं। फर्जी अधिकारी आपको इस कदर डरा देते हैं कि आप उसे पैसे देने को मजबूर हो जाते हैं। जालसाज इस तरह की धोखाधड़ी में पढ़े-लिखे लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं।

11.8 करोड़ की ऑनलाइन ठगी

पुलिस के अनुसार, पीड़ित ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 11 नवंबर को उसे एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताया। कथित अधिकारी ने दावा किया कि उसका सिम कार्ड, जो आधार कार्ड से जुड़ा हुआ था, का उपयोग अवैध विज्ञापनों और उत्पीड़न संदेशों के लिए किया जा रहा है। जालसाज ने आगे आरोप लगाया कि इस संबंध में मुंबई के कोलाबा साइबर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया है।

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बाद में, उन्हें एक पुलिस अधिकारी होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया और आरोप लगाया गया कि मनी लॉन्ड्रिंग के लिए बैंक खाते खोलने के लिए उनके आधार विवरण का दुरुपयोग किया जा रहा है। जालसाज ने उसे मामले को गोपनीय रखने के लिए कथित तौर पर धमकी दी कि अगर उसने जांच में सहयोग नहीं किया, तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

तुम्हारा केस सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है

फिर, पीड़ित को एक व्यक्ति का फोन आया और स्काइप ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा गया, जिसके बाद कथित तौर पर मुंबई पुलिस की वर्दी पहने एक व्यक्ति ने उन्हें वीडियो कॉल किया और दावा किया कि एक व्यवसायी ने 6 करोड़ रुपये के लेनदेन के लिए उनके आधार का उपयोग करके एक बैंक खाता खोला है। एफआईआर में आगे कहा गया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, 25 नवंबर को पुलिस की वर्दी में एक अन्य व्यक्ति ने उन्हें स्काइप पर कॉल किया और आरोप लगाया कि उनके मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में हो रही है और अनुपालन नहीं करने पर उनके परिवार को गिरफ्तार करने की धमकी दी गई।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के फर्जी दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए जालसाजों ने कथित तौर पर उनसे "सत्यापन उद्देश्यों" के बहाने कुछ खातों में धनराशि ट्रांसफर करने या कानूनी परिणाम भुगतने के लिए कहा। पीड़ित ने गिरफ्तारी के डर से कई लेनदेन में कुल 11.8 करोड़ रुपये विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर किए। हालांकि, जब वे और पैसे की मांग करने लगे, तो पीड़ित को एहसास हुआ कि वह धोखेबाजों का शिकार हो गया है, तब उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

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