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जज यशवंत वर्मा के घर में मिले कैश का वीडियो आया सामने, जले हुए नोटों का दिख रहा अंबार

  • यह वीडियो 1 मिनट और 7 सेकंड का है, जिसमें नोटों की जलती हुई गड्डी नजर आ रही है। कई नोट जलकर राख खाक हो गए हैं और कुछ अभी भी जल रहे हैं। मौके पर मौजूद दमकलकर्मी सफाई करते दिख रहे हैं।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानSun, 23 March 2025 12:23 AM
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जज यशवंत वर्मा के घर में मिले कैश का वीडियो आया सामने, जले हुए नोटों का दिख रहा अंबार

जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग से जुड़ा वीडियो सामने आया है, जहां भारी नकदी मिली थी। दिल्ली पुलिस की ओर से इस वीडियो को शूट किया गया था। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट अब प्रकाशित कर दी गई है। यहां मौजूद सभी दस्तावेज 25 पृष्ठों में हैं जिनमें जलते नोटों की तस्वीरें भी दिखाई गई हैं। यह वीडियो 1 मिनट और 7 सेकंड का है, जिसमें नोटों की जलती हुई गड्डी नजर आ रही है। कई नोट जलकर राख खाक हो गए हैं और कुछ अभी भी जल रहे हैं। मौके पर मौजूद दमकलकर्मी सफाई करते दिख रहे हैं। एक शख्स अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्ड कर रहा है। घटनास्थल पर कुछ बोतलें और कपड़े के टुकड़े भी देखे जा सकते हैं।

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वीडियो ऐसे समय सामने आया है जब दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय ने न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से नकदी मिलने के मामले में भारत के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को एक रिपोर्ट सौंप दी है। जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में साक्ष्य और जानकारी एकत्रित करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने अग्निशमन विभाग और पुलिस समेत सभी संबंधित अधिकारियों से बात करने के बाद शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंप दी। एससी का कॉलेजियम रिपोर्ट की पड़ताल करेगा और फिर कोई कार्रवाई कर सकता है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के बारे में जानिए

दरअसल, 14 मार्च को होली की रात लगभग 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लग गई थी। इसके बाद दमकल कर्मी आग बुझाने पहुंचे। इस दौरान वहां बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। दिल्ली हाई कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस वर्मा 8 अगस्त 1992 को अधिवक्ता के रूप में पंजीकृत हुए थे। उन्हें 13 अक्टूबर 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। 11 अक्टूबर, 2021 को वह दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए। इससे पहले, उन्होंने 1 फरवरी 2016 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी।

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