Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court in action after cash controversy formed a panel to investigate Justice Verma case

कैशकांड में फंसे जज यशवंत वर्मा की जांच के लिए CJI ने बनाई कमेटी, काम करने से भी रोका

  • दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानSat, 22 March 2025 09:07 PM
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कैशकांड में फंसे जज यशवंत वर्मा की जांच के लिए CJI ने बनाई कमेटी, काम करने से भी रोका

देश की सर्वोच्च अदालत ने जज यशवंत वर्मा के खिलाफ कैश मामले में लगे गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष पैनल गठित किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय समिति गठित की है। सीजेआई संजीव खन्ना ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निर्देश दिया है कि न्यायमूर्ति वर्मा को कोई भी न्यायिक कार्य न सौंपा जाए।

जांच के लिए गठित समिति में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागु, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं। यह समिति न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर नकदी मिलने के मामले में भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना को संभवत: एक रिपोर्ट सौंप दी थी। न्यायमूर्ति उपाध्याय ने घटना के संबंध में साक्ष्य और जानकारी एकत्रित करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू की थी और शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

घर से मिला था अथाह कैश

दरअसल, 14 मार्च को होली की रात करीब 11.35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास में आग लगने के बाद दमकल कर्मी आग बुझाने पहुंचे थे। इस दौरान वहां कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की है और उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने का प्रस्ताव भी है।

बयान में कहा गया, ‘‘जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर हुई घटना के संबंध में गलत सूचना और अफवाहें फैल रही हैं।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि सूचना प्राप्त होने पर जस्टिस उपाध्याय ने साक्ष्य और सूचना एकत्रित करने के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी। बताया जाता कि जस्टिस उपाध्याय ने 20 मार्च को कॉलेजियम की बैठक से पहले ही जांच शुरू कर दी थी।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके तबादले के प्रस्ताव की पड़ताल 20 मार्च को प्रधान न्यायाधीश और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने की थी और उसके बाद जस्टिस वर्मा के अलावा शीर्ष न्यायालय के परामर्शदात्री न्यायाधीशों, संबंधित उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को पत्र भेजे गए थे। न्यायालय ने कहा, ‘‘प्राप्त प्रतिक्रियाओं की पड़ताल की जाएगी और उसके बाद कॉलेजियम एक प्रस्ताव पारित करेगा।’’

भाषा इनपुट के साथ

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