विदेशियों के अधिकारों की रक्षा करना भी हमारा कर्तव्य; कोर्ट ने चीनी नागरिक को दी जमानत
- दिल्ली की एक कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान भारत में रहने वाले विदेशी नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में चीन के नागरिक को जमानत दे दी है।
दिल्ली की एक अदालत ने हाल ही में मोबाइल फोन कंपनी वीवो इंडिया के साथ काम करने वाले एक चीनी नागरिक को जमानत की मंजूरी दे दी है। इस मामले में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन न हो, चाहे वह देश नागरिक हो या विदेशी नागरिक। शख्स पर 20,000 करोड़ रुपए को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किरण गुप्ता ने 11 नवंबर को पारित अपने आदेश में कहा, "चाहे वह नागरिक हो या विदेशी नागरिक, यह सुनिश्चित करना ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है कि किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन न हो। ट्रायल कोर्ट व्यक्ति के साथ पहला संपर्क बिंदु है। इसलिए किसी व्यक्ति के मौलिक अधिकार की रक्षा करना ट्रायल कोर्ट का कर्तव्य है"।
36 पेजों के इस आदेश में कहा गया है कि सभी नागरिक संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और आजादी के अधिकार के तहत जल्द से जल्द सुनवाई के हकदार हैं। कोर्ट ने कहा, "कानून का सबसे अच्छा इस्तेमाल तब होता है जब यह आरोपी के निजी जीवन में होने वाली असुविधा को कम करता है।" कोर्ट ने यह टिप्पणी ग्वांगवेन उर्फ एंड्रयू नाम के चीनी नागरिक की जमानत की अर्जी मंजूर करते समय ये बातें कही हैं। यह शख्स 2016 से वीवो की ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री में एडमिन मैनेजर और ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट का कर्मचारी था। उसे अक्टूबर 2023 में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था और उसने करीब 13 महीने जेल में बिताए थे।
अनुच्छेद 32 और 226 का जिक्र
कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने के सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला दिया जिसमें CrPC की धारा 439 और PMLA की धारा 45 में अनुच्छेद 21 के तहत आजादी के सिद्धांतों को पढ़ने की बात कही गई थी। ईडी ने जमानत देने का विरोध करते हुए दावा किया था कि ट्रायल कोर्ट को अनुच्छेद 21 और किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों पर तर्क से हटकर जमानत याचिकाओं पर विचार करना चाहिए। कोर्ट ने इस पर कहा, "अनुच्छेद 32 और 226 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ उपायों को लागू करने की संवैधानिक शक्तियां पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के पास हैं लेकिन साथ ही ट्रायल कोर्ट को किसी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा और उन्हें लागू करने का आदेश दिया गया है।"
वीवो इंडिया में काम करता है आरोपी
जमानत के लिए शर्तें तय करते हुए कोर्ट ने कहा है कि आरोपी को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और वह कोर्ट की इजाजत के बिना देश नहीं छोड सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी इस मामले से जुड़े अन्य आरोपियों से किसी भी तरह से संपर्क नहीं करेगा। आरोपियों के वकीलों के अनुसार एंड्रयू 2016 से वीवो की ग्रेटर नोएडा फैक्ट्री में एचआर और एडमिन मैनेजर के पद पर काम कर रहा था। एंड्रयू के वकील ने तर्क दिया कि चार्जशीट में जिन लोगों के नाम हैं उन्हें समन नहीं दिया गया है और इसलिए मुकदमे में लंबा समय लगने की संभावना है। वकीलों ने आगे तर्क दिया कि एंड्रयू चीन का स्थायी निवासी था और भारत में वर्क परमिट पर था। उन्होंने तर्क दिया कि एंड्रयू कंपनी में प्रमुख प्रबंधकीय पद पर नहीं था न ही उस फर्म के फाइनेंस में शामिल था जिसकी जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि आरोपी वीवो इंडिया के तत्कालीन सीईओ जैकी लियाओ की मदद कर रहा था और इसलिए लियाओ को भेजे गए फॉलो-अप ईमेल पर उसका नाम था। वकीलों ने कहा है कि आरोपी किसी भी बोर्ड मीटिंग का हिस्सा नहीं था और इसलिए वह मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उत्तरदायी नहीं हो सकता।
ईडी के आरोप
इससे पहले ईडी ने मामले में एक चार्जशीट दायर किया है जिसमें उसने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत चीनी फोन निर्माता वीवो पर आरोप लगाया है। ईडी ने दावा किया है कि फर्म ने भारत में टैक्स का भुगतान करने से बचने के लिए 2014 और 2021 के बीच भारत के बाहर 1 लाख करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के लिए शेल कंपनियों का इस्तेमाल किया। ईडी ने इस मामले में लावा इंटरनेशनल के एमडी हरिओम राय, चीनी नागरिक गुआंगवेन और चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन गर्ग और राजन मलिक को गिरफ्तार किया था। राजन मलिक को अक्टूबर में निचली अदालत ने जमानत दे दी थी।