वक्फ बिल विरोध में हमास का क्या काम? केरल में प्रदर्शन के दौरान दिखाई गई तस्वीरों से बढ़ा विवाद
- Protests against waqf bill in Kerala: केरल में वक्फ बिल के विरोध प्रदर्शन में हमास और कट्टर पंथी मुस्लिम ब्रदरहुड के नेताओं की तस्वीरें लहराने पर राजनैतिक विवाद शुरू हो गया है। भाजपा और तमाम मुस्लिम विद्वानों ने भी इसका विरोध किया है।

केरल में वक्फ संसोधन बिल विरोधी प्रदर्शन में मुस्लिम ब्रहदहुड और हमास के चरमपंथी नेताओं की तस्वीरों के दिखाई देने से राज्य में राजनैतिक विवाद बढ़ गया है। बुधवार को जमात-ए-इस्लामी से जुड़े सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट और स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन द्वारा इंटरनेशनल हवाई अड्डे तक निकाली गई रैली में चरमपंथी नेताओं की तस्वीरें लहराई गईं। इस प्रदर्शन के दौरान कट्टरपंथी नेताओं की तस्वीरें दिखाने का माकपा, भाजपा और कई मुस्लिम विद्वानों ने विरोध किया।
भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले को लेकर सत्तारूढ़ गठबंधन एलडीएफ और विपक्षी यूडीएफ दोनों की कड़ी आलोचना करते हुए मुस्लिम तुष्टीकरण का आरोप लगाया है। भाजपा की तरफ से कहा गया कि राज्य में पार्टियों की वोट बैंक साधने की नीतियों की वजह से आतंकवादी संगठन पनप रहे हैं। इतना ही नहीं भाजपा नेता के सुरेंद्रन ने विरोध प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम ब्रदरहुड और हमास जैसे चरमपंथी संगठनों के नेताओं के प्रदर्शन पर भी सवाल उठाए।
सुरेंद्रन ने शुक्रवार को मीडिया से बात करते हुए पूछा कि भारत की संसद द्वारा पारित किए गए एक कानून के विरोध में मुस्लिम ब्रदरहुड के संस्थापक की तस्वीरें क्यों लेकर आए? ऐसे समय में जब इस संगठन को इसके संस्थापक देश मिस्र में भी प्रतिबंधित कर दिया है.. संयुक्त राष्ट्र भी इसे एक चरमपंथी समूह मानता है तो फिर इसमें केरल के नेताओं की क्या भूमिका है?
वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ माकपा नेता एम वी जयराजन ने इस घटना को लेकर जमात ए इस्लामी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे पर आतंकवादी संगठन के नेताओं की तस्वीरें प्रदर्शित करने से उनके असली इरादे उजागर हो गए हैं। जयराजन ने फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में कहा, "देश की धर्मनिरपेक्ष ताकतों द्वारा ऐसी गतिविधियों का कड़ा विरोध किया जाना चाहिए और उन्हें साथ मिलकर हराना चाहिए।"
जयराजन ने कहा कि जमात ए इस्लामी संघ के काम को ही आगे बढ़ाने का काम कर रही है। उनके द्वारा किए गए इस काम से केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ जो प्रदर्शन हो रहा है वह कमजोर होगा। कई मुस्लिम विद्वान भी जयराजन के इस बात से सहमत होते हुए दिखाई दिए.. उन्होंने कहा कि हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड के नेताओं की इस प्रदर्शन में कोई जरूरत नहीं थी। ऐसा होने के बाद अब दक्षिणपंथी पार्टियों को लोगों को भड़काने का नया तरीका मिल गया है।
आपको बता दें कि इससे पहले बंगाल समेत कई अन्य जगहों पर हुए प्रदर्शनों में भी प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंड़ों को लहराया था। इस पर भी भाजपा समेत तमाम दलों के नेताओं ने आपत्ति जताई थी।