कोटे में कोटा पर SC के फैसले पर रार के मूड में कांग्रेस? शीर्ष नेताओं ने डेढ़ घंटे की बैठक; क्या बनी रणनीति
- जयराम रमेश ने कहा कि दो बातें बहुत स्पष्ट हैं। पहला कि जाति-आधारित जनगणना आवश्यक है और दूसरा कि एसटी/एससी/ओबीसी आरक्षण पर लागू 50% की सीमा को हटाने के लिए एक संविधान संशोधन लाना भी जरूरी है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस कोटे में कोटा पर आगामी दिनों में बड़ा कुछ करने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी के मद्देनजर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मंगलवार की शाम पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर लंबी बैठक की। बैठक के बाद पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले, जिसमें SC/ST कैटगरी का उप वर्गीकरण करने को मंजूरी दी गई है, पर पार्टी नेताओं ने डेढ़ घंटे तक चर्चा की है।
जयराम रमेश ने कहा, "मीटिंग में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी के अलावा AICC के कुछ सांसद और नेता मौजूद थे। इस बैठक का विषय सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला था।" जयराम रमेश ने कहा कि एससी/एसटी आरक्षण और कोटा के अंदर कोटा के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष अगले कुछ दिनों में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्षों से भी बातचीत करेंगे, उसके बाद इस पर आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा।
हालांकि, रमेश ने कहा कि दो बातें बहुत स्पष्ट हैं। पहला कि जाति-आधारित जनगणना आवश्यक है और दूसरा कि एसटी/एससी/ओबीसी आरक्षण पर लागू 50% की सीमा को हटाने के लिए एक संविधान संशोधन लाना भी जरूरी है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के घटक दल सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से नाराज हैं और एससी-एसटी कैटगरी के अंदर उप वर्गीकरण और क्रीमीलेयर लागू करने जैसे कोर्ट के फैसले के खिलाफ हैं। मंगलवार को भी संसद के अंदर इसकी बानगी देखने को मिली, जब द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सांसद ए. राजा ने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण की राज्यों को अनुमति देने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का हवाला देते लोकसभा में कहा कि सरकार को इसकी समीक्षा करनी चाहिए और आरक्षण बचाने के लिए उचित कदम उठाना चाहिए। उन्होंने सदन में शून्यकाल के दौरान यह विषय उठाया था।
राजा ने कहा कि दलित समुदाय में यह चिंता है कि सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से उनका आरक्षण प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार से आग्रह है कि फैसले की समीक्षा करिये तथा सुरक्षा उपाय करिये ताकि आरक्षण की रक्षा की जा सके।’’
उच्चतम न्यायालय ने बहुमत से दिए एक फैसले में बृहस्पतिवार को कहा था कि राज्यों के पास अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्धारित आरक्षण में उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से व्यवस्था दी कि राज्यों को अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) में उप-वर्गीकरण करने की अनुमति दी जा सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन समूहों के भीतर और अधिक पिछड़ी जातियों को आरक्षण दिया जाए।