लेटरल एंट्री पर NDA में ही विरोध; चिराग पासवान बोले- यह सरासर गलत, कोई किंतु-परंतु नहीं
- विपक्ष का आरोप है कि लेटरल एंट्री के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करने का यह कदम राष्ट्र विरोधी कदम है। इस तरह की कार्रवाई से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है।
लेटरल एंट्री के जरिए सरकारी पदों पर नियुक्ति मामले को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के भीतर भी विरोध के सुर उठने लगे हैं। राजग गठबंधन का हिस्सा और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इस तरह नियुक्तियों के किसी भी कदम की आलोचना की है। उन्होंने सोमवार को कहा कि वह केंद्र के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे। चिराग ने कहा, ‘किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है। निजी क्षेत्र में आरक्षण नहीं है और अगर सरकारी पदों पर भी इसे लागू नहीं किया जाता है। यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है।’
चिराग पासवान ने कहा कि सरकार के सदस्य के रूप में उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वह ऐसा करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल समर्थन में नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब हाल ही में केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में नियुक्ति करने की घोषणा की। ये नियुक्तियां संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर अनुबंध आधार पर होनी हैं।
लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती का विरोध क्यों
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना है। दरअसल, आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं - भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं। इसे लेकर विपक्ष का आरोप है कि लेटरल एंट्री के जरिए लोक सेवकों की भर्ती करने का यह कदम राष्ट्र विरोधी कदम है। इस तरह की कार्रवाई से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है।
कांग्रेस इस मामले पर पहले से हमलावर
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लेटरल एंट्री के माध्यम से भर्ती को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने दावा किया कि यह आरक्षण छीनकर संविधान को बदलने का भाजपाई चक्रव्यूह है। खरगे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, ‘मोदी सरकार का लेटरल एंट्री का प्रावधान संविधान पर हमला क्यों है? सरकारी महकमों में रिक्तियां भरने के बजाय, पिछले 10 वर्षों में अकेले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में ही भारत सरकार के हिस्सों को बेच-बेचकर 5.1 लाख पद भाजपा ने खत्म कर दिए है। अनुबंधित भर्ती में 91 प्रतिशत इजाफा हुआ है। एससी, एसटी, ओबीसी के 2022-23 तक 1.3 लाख पद कम हुए है।'
(एजेंसी इनपुट के साथ)