Hindi Newsदेश न्यूज़China friendship with Bangladeshi fundamentalists a new game being played against India amid violence against Hindus

बांग्लादेशी कट्टरपंथियों से चीन की यारी, हिंदुओं पर हिंसा के बीच भारत के खिलाफ रचा जा रहा नया खेल?

  • एक तरफ चीन एलएसी पर से सैनिकों की वापसी के बाद भारत से दोस्ती चाहता है, मगर दूसरी तरफ भारत विरोधी बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के साथ याराना निभा रहा है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानThu, 28 Nov 2024 10:39 PM
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बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव और अल्पसंख्यकों पर बढ़ती हिंसा के बीच चीन ने बांग्लादेशी कट्टरपंथी समूहों के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में ढाका में चीनी दूतावास ने जमात-ए-इस्लामी, हिफाजत-ए-इस्लाम और अन्य भारत विरोधी इस्लामिक राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए एक भव्य स्वागत समारोह आयोजित किया। इस कार्यक्रम में जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख शफीकुर रहमान की उपस्थिति ने सबसे अधिक ध्यान खींचा। ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरफ चीन एलएसी पर से सैनिकों की वापसी के बाद भारत से दोस्ती चाहता है, मगर दूसरी तरफ भारत विरोधी समूहों के साथ याराना निभा रहा है।

चीन के राजदूत याओ वेन ने बांग्लादेशी कट्टरपंथियों के स्वागत के दौरान कहा कि चीन-बांग्लादेश रिश्ते घरेलू और क्षेत्रीय परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होते। उन्होंने इसे स्थिर साझेदारी को क्षेत्रीय शांति और समृद्धि का स्तंभ बताया। यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। वहां लगातार हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं और भारत विरोधी तेवर और मजबूत हो रहे हैं। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने के बाद चीन ने तेजी से नए राजनीतिक दलों, विशेष रूप से कट्टरपंथी समूहों के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमले

भारत ने हाल ही में बांग्लादेश में हिंदुओं अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को लेकर अपनी चिंता जताई है। ढाका पुलिस द्वारा हिंदू धार्मिक नेता चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी के बाद स्थिति और बिगड़ गई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने इसे धार्मिक आजादी पर हमला बताया और गिरफ्तारी की निंदा की। भारत ने न केवल धार्मिक हिंसा बल्कि हसीना सरकार के पलटने के बाद अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर भी गहरी चिंता जताई है। ब्रिटेन के एक संसदीय समूह की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में 2,000 से अधिक हिंसक घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन सीनेटर तुलसी गबार्ड ने भी इन घटनाओं पर अपनी नाराजगी जताई है।

चीन की रणनीति पर उठे सवाल

चीन ने जमात-ए-इस्लामी जैसे समूहों को संगठित और अनुशासित बताते हुए उन्हें समर्थन देना शुरू किया है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, चीन ने अपनी भूमिका को और मजबूत करते हुए बांग्लादेश की इस्लामिक पार्टियों के साथ संवाद बढ़ा दिया है। भारतीय विशेषज्ञ इसे भारत के खिलाफ चीन की एक नई रणनीति के रूप में देख रहे हैं। चीन की यह कूटनीति न केवल दक्षिण एशिया में उसकी पकड़ मजबूत करेगी, बल्कि भारत के प्रभाव को कमजोर करने की कोशिश भी है। ऐसे में भारत के लिए चुनौती केवल धार्मिक हिंसा पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना नहीं, बल्कि बांग्लादेश के नए राजनीतिक समीकरणों के बीच अपनी कूटनीतिक स्थिति को बचाए रखना भी होगा।

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