कोई बागी तो कोई भरोसेमंद: कहानी वित्त मंत्रियों की, जो बन गए प्रधानमंत्री; एक तो दूसरे देश के PM बन बैठे
Budget 2025: मोरारजी देसाई ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे, जो पहले वित्त मंत्री रह चुके थे। उनके नाम सर्वाधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है।
Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 01 फरवरी, 2025 को अपना आठवां बजट पेश कर एक नया इतिहास रचने जा रही हैं। इसमें अब तक उनके द्वारा पेश किए गए दो अंतरिम बजट भी शामिल हैं। इसके साथ ही सीतारमण 10 बार बजट पेश करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड के और करीब पहुंच जाएंगी। पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के नाम 10 बार बजट पेश करने का कीर्तिमान है। देसाई ने 1959-1964 के बीच वित्त मंत्री के रूप में लगातार छह बार बजट पेश किए थे और 1967-1969 के बीच चार बार बजट पेश किए थे।
देश में कुछ ऐसे भी वित्त मंत्री हुए जो बाद में प्रधानमंत्री बने, जबकि कुछ प्रधानमंत्रियों ने भी अपने कार्यकाल में बजट पेश किए। पंडित जवाहर लाल नेहरू ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने बजट पेश किया था। उन्होंने 1 अगस्त 1956 से 30 अगस्त 1956 और दूसरी बार 14 फरवरी 1958 से 22 मार्च 1958 तक वित्त मंत्रालय संभाला था। 1947 में आजादी से पहले जब देश में 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार बनी थी, तब पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उस सरकार का नेतृत्व किया था। उस सरकार में लियाकत अली को वित्त मंत्री बनाया गया था। बाद में वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने।
मोरारजी पहले वित्त मंत्री जो बने प्रधानमंत्री
हालांकि, मोरारजी देसाई ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे, जो पहले वित्त मंत्री रह चुके थे। उनके नाम सर्वाधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड है। वह पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी, दोनों के कार्यकाल में वित्त मंत्री रह चुके हैं। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। वह 22 मार्च, 1958 से 10 अप्रैल, 1962 तक, फिर 10 अप्रैल, 1962 से 31 अगस्त, 1963 तक और 13 मार्च, 1967 से 16 जुलाई, 1969 तक वित्त मंत्री थे। फिर बाद में 1977 में अपनी ही सरकार में एक बार दो दिनों के लिए और आखिरी समय में 12 दिनों के लिए भी वित्त मंत्री थे, जब चरण सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।।
मोरारजी के इस्तीफा देने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी वित्त मंत्रालय संभाला था और उन्होंने 1970-71 का बजट पेश किया था। उनके ही कार्यकाल में श्वेत क्रांति आई थी और राष्ट्रीय डेयरी बोर्ड की स्थापना की गई थी। चौधरी चरण सिंह भी ऐसे वित्त मंत्री हुए जो बाद में प्रधानमंत्री बन पाए। उन्होंने मोरारजी देसाई की सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए 1979-80 का बजट पेश किया था।
दो वित्त मंत्री तो राष्ट्रपति भी बने
इस देश में दो वित्त मंत्री ऐसे भी हुए जो वित्त मंत्री रहे और बाद में राष्ट्रपति बने। इनमें पहला नाम आर वेंकटरमण का है और दूसरे प्रणब मुखर्जी हैं। वेंकटरमण इंदिरा गांधी के शासनकाल में 14 जनवरी 1980 से 15 जनवरी 1982 तक वित्त मंत्री थे, जबकि प्रणब मुखर्जी पहले इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की सरकार (दो महीने) में फिर मनमोहन सिंह की सरकार में वित्त मंत्री रहे।
वीपी सिंह भी वित्त मंत्री फिर PM बने
1984 में जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी सरकार बनी और 1984 के दिसंबर में सहानुभूति की लहर पर राजीव सरकार की प्रचंड वापसी हुई तो वीपी सिंह देश के वित्त मंत्री बनाए गए। बाद में वीपी सिंह भी 1989 में देश के प्रधानमंत्री बने। उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए कई गरीब हितैषी योजनाएं चलाईं। वह 31 दिसंबर 1984 से लेकर 24 जनवरी 1987 तक वित्त मंत्री रहे। बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के आरोपों पर उन्होंने राजीव सरकार से बागी होकर इस्तीफा दे दिया था और कांग्रेस भी छोड़ दी थी। उनके इस्तीफा देने के बाद राजीव गांधी ने वित्त मंत्रालय अपने पास रखा और उन्होंने 1987-88 का बजट पेश किया।
मनमोहन सिंह तो अनूठे, 10 साल रहे PM
वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार गिरने के बाद 1991 में जब लोकसभा चुनाव हुए तो पीवी नरसिम्हा राव की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार बनी। तब डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया गया था, जिन्होंने देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण का दौर शुरू किया था। वह भी ऐसे वित्त मंत्री हुए जो बाद में 2004 में प्रधानमंत्री बने। सिंह 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक वित्त मंत्रालय संभाला था। सिंह पहले नरसिम्हा राव के फिर सोनिया गांधी के भरोसेमंद चेहरा बने।