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असम अवैध खदान हादसे में मारे गए सभी मजदूरों के शव बरामद, सर्च ऑपरेशन में क्यों लगे 44 दिन

  • असम अवैध खदान हादसे में मारे गए सभी मजदूरों के शव बरामद कर लिए गए हैं। सर्च ऑपरेशन में टीम को 44 दिन लग गए। अधिकारियों ने बताया कि इतनी देरी की क्या वजह रही?

Gaurav Kala उत्पल पराशर, गुवाहाटी, हिंदुस्तान टाइम्सWed, 19 Feb 2025 06:53 PM
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असम अवैध खदान हादसे में मारे गए सभी मजदूरों के शव बरामद, सर्च ऑपरेशन में क्यों लगे 44 दिन

असम के दीमा हसाओ जिले में 44 दिन पहले अवैध कोयला खदान में आई बाढ़ के कारण लापता हुए पांच मजदूरों के शव बुधवार को बचाव दल ने बरामद कर लिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 6 जनवरी को दीमा हसाओ जिले के उमरंगसो में एक अवैध रैथोल कोयला खदान में पानी भर जाने से नौ मजदूर फंस गए थे। विभिन्न एजेंसियों द्वारा चलाए गए बचाव अभियान के दौरान चार मजदूरों के शव पहले ही बरामद कर लिए गए थे, जबकि पांच मजदूरों का अब तक कोई पता नहीं चल पाया था।

डिप्टी कमिश्नर सिमंता कुमार दास ने बताया कि पिछले 44 दिनों से लापता पांचों मजदूरों के शव बुधवार को एनडीआरएफ, भारतीय सेना और अन्य एजेंसियों द्वारा बरामद कर लिए गए। यह सफलता तब मिली जब 300 फीट गहरी खदान में पानी का स्तर घटकर लगभग एक फीट रह गया।

पांच मजदूरों की पहचान हुसैन अली (30), जाकिर हुसैन (38), मुस्तफा शेख (44) तीनों असम के दरंग जिले के निवासी, सरपा बर्मन (46) कोकराझार जिले से और संजीत सरकार (35) पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले से के रूप में हुई है।

बचाव दल को इतनी देर क्यों लगी?

हादसे के बाद बचाव दल लगातार खदान से पानी निकालने की कोशिश में जुटा हुआ था। खदान में लगभग 100 फीट तक पानी भर गया था, जिससे गोताखोरों के लिए लापता मजदूरों की तलाश करना बेहद मुश्किल हो गया था। दास ने बताया, “बचाव अभियान लगातार जारी था। मंगलवार को जब NDRF के गोताखोर खदान की गहराई में गए तो उन्हें शव नहीं मिल सके। लेकिन जब बुधवार को पानी का स्तर और कम हुआ, तब शवों का पता लगाया जा सका और उन्हें बाहर निकाला गया।”

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सड़े-गले अवस्था में मिले शव

डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि "शव बुरी तरह सड़-गल चुके हैं और तुरंत पहचाने नहीं जा सके।" इन्हें पहले उमरंगसो ले जाया जाएगा और फिर जिला मुख्यालय हाफलॉन्ग के सिविल अस्पताल की मॉर्चरी में पोस्टमॉर्टम और डीएनए परीक्षण के लिए रखा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मजदूरों के जिलों के डिप्टी कमिश्नरों को सूचना भेज दी गई है ताकि उनके परिजन हाफलॉन्ग आकर शवों की पहचान कर सकें।

पहले यह अनुमान लगाया जा रहा था कि खदान में फंसे मजदूरों की संख्या नौ से अधिक हो सकती है, लेकिन दास ने इस संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा, "शुरुआती अटकलें थीं कि फंसे हुए लोगों की संख्या अधिक हो सकती है, लेकिन हादसे के बाद से केवल नौ मजदूरों के परिवारों ने ही उनसे संपर्क किया था। 44 दिन बाद और मजदूरों के अंदर होने की संभावना नहीं है।"

अवैध खदानों पर सरकार की कार्रवाई

16 जनवरी को असम सरकार ने इस हादसे की न्यायिक जांच और एक विशेष जांच दल (SIT) द्वारा जांच कराने का फैसला लिया था। सरकार ने उन चार मजदूरों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया, जिनके शव बरामद हुए थे, और पांच अन्य लापता मजदूरों के परिजनों को भी मुआवजा दिया गया। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि "इस इलाके में लगभग 220 अवैध रैथोल कोयला खदानें चल रही हैं।" हादसे के बाद प्रशासन इन सभी अवैध खदानों को बंद करने की कोशिश कर रहा है। हादसे के बाद दीमा हसाओ पुलिस ने इस अवैध खदान के संचालन से जुड़े 11 लोगों को गिरफ्तार किया है।

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