अजित पवार की भी लंबी है डिमांड लिस्ट, शपथ से पहले टीम के साथ दिल्ली में डटे; क्या डिमांड
- अजित पवार भी सरकार गठन को लेकर चल रही बारगेनिंग में अपनी स्थिति मजबूत कर लेना चाहते हैं। उनके कुल 41 विधायक हैं। अजित पवार का कहना है कि चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट एकनाथ शिंदे की शिवसेना से कम नहीं रहा है। इसलिए उन्हें भी उतने ही मंत्री पद मिलने चाहिए जितने शिवसेना को दिए जाएं।
महाराष्ट्र में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को होने वाला है। उससे पहले मान-मनौव्वल का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि देवेंद्र फडणवीस के खुद जाकर मुलाकात करने के बाद एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने को राजी हो गए हैं और शपथ लेंगे। इसके अलावा अजित पवार का डिप्टी सीएम बनना पहले से तय है। लेकिन एक जानकारी यह भी मिल रही है कि गुरुवार को सीएम के साथ दो डिप्टी सीएम ही शपथ लेंगे। उनके अलावा किसी अन्य मंत्री को शपथ नहीं दिलाई जाएगी। इसकी वजह यही है कि अब भी तीनों दलों के बीच पावर शेयरिंग के फॉर्मूले पर मंथन जारी है।
अजित पवार भी सरकार गठन को लेकर चल रही बारगेनिंग में अपनी स्थिति मजबूत कर लेना चाहते हैं। उनके कुल 41 विधायक हैं। अजित पवार का कहना है कि चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट एकनाथ शिंदे की शिवसेना से कम नहीं रहा है। इसलिए उन्हें भी उतने ही मंत्री पद मिलने चाहिए जितने शिवसेना को दिए जाएं। इसी डिमांड को लेकर अजित पवार बीते दो दिनों से दिल्ली में डटे हैं और उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे, प्रफुल्ल पटेल जैसे सीनियर नेता भी हैं। तीनों ही नेता फिलहाल अमित शाह से मुलाकात की बाट जोह रहे हैं। कहा जा रहा है कि अजित पवार एक बार अमित शाह से मिलकर पूरी बात रखना चाहते हैं।
एनसीपी के नेताओं का कहना है कि हमारा स्ट्राइक रेट शिवसेना से कम नहीं है। फिर हम कम मंत्री पदों पर समझौता क्य़ों करें। एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि अजित पवार शहरी विकास मंत्रालय, ऊजा मंत्रालय, वित्त समेत कई अहम विभाग चाहते हैं। बता दें कि अब तक वित्त मंत्रालय अजित पवार के पास ही था। इस बार भाजपा को अपने दम पर ही 132 सीटें मिली हैं। ऐसे में 145 सीटों के जादुई आंकड़े वाले नंबर से वह थोड़ा ही देर है। यही वजह है कि इस बार भाजपा ज्यादा मंत्री पद सहयोगियों के साथ शेयर नहीं करना चाहती। इसके चलते एनसीपी और शिवसेना के साथ पावर शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने में देरी हो रही है।