सेना ने फिर किया कमाल, पहले पोर्टेबल हॉस्पिटल का 15 हजार फीट की ऊंचाई पर एयर ड्रॉप; देखिए वीडियो
- यह अभियान मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के रूप में प्रभावित क्षेत्रों में आपूर्ति मुहैया कराने में काफी अहम है। साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के तहत इसे अंजाम दिया गया है।
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भारतीय वायुसेना और थलसेना ने संयुक्त रूप से लगभग 15 हजार फुट की ऊंचाई पर 'पैरा-ड्रॉप' कैंपेन को अंजाम दिया। आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब पहल के तहत पहली बार इस तरह का अभियान चलाया गया। रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बयान में कहा कि इन ‘क्रिटिकल ट्रॉमा केयर क्यूब’ को परियोजना भीष्म (सहयोग, हित और मैत्री के लिए भारत स्वास्थ्य पहल) के अंतर्गत स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है। यह अभियान मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) के रूप में प्रभावित क्षेत्रों में आपूर्ति मुहैया कराने में काफी अहम है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप इसे अंजाम दिया गया।
बयान में कहा गया कि वायुसेना ने क्यूब को एयरलिफ्ट करने और सटीक तरीके से पैरा-ड्रॉप करने के लिए अपने सामरिक परिवहन विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का इस्तेमाल किया। इसमें कहा गया कि थलसेना की पैरा ब्रिगेड ने अपने ड्रॉप उपकरणों का इस्तेमाल करके ट्रॉमा केयर क्यूब की सफल तैनाती में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह प्रदर्शन दूरदराज और पर्वतीय क्षेत्रों में भी मानवीय सहायता व आपदा राहत कार्यों में प्रभावी ढंग से सहयोग को लेकर विशेष सैन्य क्षमता को दर्शाता है।
समय पर और प्रभावी सहायता मुहैया कराने की क्षमता
भीष्म ट्रॉमा केयर क्यूब के सफल पैरा-ड्रॉप अभियान और तैनाती ने सशस्त्र बलों के बीच बेहतर तालमेल का उदाहरण पेश किया है। साथ ही यह सबसे पहले, समय पर और प्रभावी सहायता प्रदान करने की प्रतिबद्धता को प्रकट करता है। दूसरी ओर, डीआरडीओ ने निपुण युद्ध सामग्री का अधिकार धारिता सीलबंद विवरण गुणवत्ता आश्वासन महानिदेशालय को सौंप दिया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एएचएसपी सौंपे जाने संबंधी कार्यक्रम आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान पुणे में हुआ। निपुण एक आसान लक्ष्य युद्ध सामग्री है जिसे एआरडीई ने उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है।