Hindi Newsदेश न्यूज़After Operation Sindoor India held secret talks with 13 countries what was the strategy

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने 13 देशों से की खुफिया बात, ऐक्शन में थे जयशंकर और डोभाल

पाकिस्तान और पीओके में आतंक के अड्डों पर भारत ने जबरदस्त कार्रवाई करने बाद यूएनएससी के सदस्यों समेत 13 देशों को बताया कि कैसे 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंक के खिलाफ एक जिम्मेदार कदम था।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 7 May 2025 11:20 PM
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने 13 देशों से की खुफिया बात, ऐक्शन में थे जयशंकर और डोभाल

भारत ने एक बार फिर पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि वो आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करता और न ही उसे पनाह देने वालों को छोड़ेगा। 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए भारतीय सशस्त्र बलों ने पहलगाम हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में मौजूद लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे खतरनाक आतंकी संगठनों के 9 ठिकानों को मिसाइल और ड्रोन हमलों से तबाह कर दिया। ये वही ठिकाने थे जहां पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की शह पर आतंक की नर्सरी चलाई जा रही थी।

13 शक्तियों को भारत ने कॉन्फिडेंस में लिया

इस ऑपरेशन के बाद भारत ने 13 प्रमुख देशों को अपने इस कदम की जानकारी दी और समझाया कि ये कार्रवाई क्यों जरूरी थी। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी, फ्रांस, जापान और स्पेन के अपने समकक्षों से बात की, वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, सऊदी अरब और यूएई समेत कई देशों के एनएसए से सीधे संपर्क किया।

सूत्रों के मुताबिक, डोभाल ने साफ कहा कि भारत का इरादा टकराव बढ़ाने का नहीं है, लेकिन अगर पाकिस्तान ने तनाव फैलाने की कोशिश की तो भारत भी पूरी ताकत से जवाब देगा। उन्होंने ये भी बताया कि भारत की कार्रवाई पूरी तरह से नपी-तुली, संतुलित और जिम्मेदाराना थी। डोभाल की इस रणनीतिक बातचीत के पीछे एक स्पष्ट संदेश था कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ बयान नहीं देगा, सीधे ठिकानों पर वार करेगा। पाक जो सालों से आतंकी संगठनों को पनाह देता आया है, उसे अब ये समझ लेना चाहिए कि उसकी आतंकी फैक्ट्री अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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ऐक्शन में दिखे थे जयशंकर और डोभाल

फ्रांस, जर्मनी और जापान जैसे देशों ने भारत की कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ साहसी और जरूरी कदम बताया। वहीं जापान ने चिंता जताई कि पाकिस्तान की हरकतें इस तनाव को युद्ध में बदल सकती हैं। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि वो युद्ध नहीं चाहता, मगर अपनी जनता और सैनिकों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के 13 स्थायी और अस्थायी सदस्य देशों के राजदूतों को भी इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि बताई। उन्होंने खासतौर से चीन और रूस के राजनयिकों को भरोसे में लिया।

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