अभय सिंह अकेले नहीं, IIT के ये 8 इंजीनियर भी बन चुके हैं साधु; रोचक हैं इनके किस्से
- जब हमने देश के ख्यातिप्राप्त साधुओं के बारे में पता लगाने की कोशिश की तो पाया कि अभय सिंह के अलावा ऐसे कई साधु और संन्यासी हैं जिन्होंने आईआईटी से डिग्री हासिल करने के बावजूद अध्यात्म का मार्ग अपनाया।

IIT Baba: आईआईटी बाबा के नाम से अपनी पहचान बनाने वाले अभय सिंह के कारण देश की इस प्रतिष्ठित संस्थान की खूब चर्चा हो रही है। इससे पहले तक आईआटी की चर्चा वहां होने वाले शोध और छात्रों को मिलने वाले मोटे पैकेज के कारण होती थी।
जब हमने देश के ख्यातिप्राप्त साधुओं के बारे में पता लगाने की कोशिश की तो पाया कि अभय सिंह के अलावा ऐसे कई साधु और संन्यासी हैं जिन्होंने आईआईटी से डिग्री हासिल करने के बावजूद अध्यात्म का मार्ग अपनाया। आइए ऐसे कुछ महान संतों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
गौरंग दास
आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने वाले गौरंग दास ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़कर आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का निर्णय लिया। सोशल मीडिया में उनके कई ऐसे वीडियो हैं जो उन्हें एक इंफ्लुएंसर के तौर पर भी स्थापित करता है। उन्होंने कई किताबें लिखी हैं।

अभय सिंह
आईआईटी बॉम्बे से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक अभय सिंह हाल के दिनों में चर्चा का केंद्र बने हुआ। उन्होंने कनाडा में एक अच्छी नौकरी छोड़कर संन्यास का मार्ग अपनाया।

आचार्य प्रकाशांत
आचार्य प्रकाशांत ने आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी। आज के समय में उन्हें एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपने कॉर्पोरेट करियर को छोड़कर आध्यात्मिक जीवन अपनाया। उन्होंने अध्यात्म के बारे में कई किताबें लिखी हैं।

संकेत पारिख
संकेत पारिख ने भी IIT बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की थी। उन्होंने अमेरिका में एक अच्छा-खासा करियर छोड़कर जैन संन्यास को अपनाया। उनका जीवन साधना, तपस्या और आध्यात्मिक उन्नति का उदाहरण प्रस्तुत करता है। वह जैन दर्शन के प्रति अपनी गहरी निष्ठा और शांति की ओर बढ़ते कदमों का पालन करते हैं।
महान एमजे
आईआटी कानपुर और UCLA से पीएचडी करने वाले महान एमजे रामकृष्ण मठ के संन्यासी हैं। वह वर्तमान में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई में गणित के प्रोफेसर हैं। इससे पहले वह हाइपरबोलिक ज्योमेट्री और ज्योमेट्रिक ग्रुप थ्योरी में महत्वपूर्ण योगदान दे चुके हैं।
स्वामी मुकुंदानंद
स्वामी मुकुंदानंद आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने जगद्गुरु कृष्णपालजी योग की स्थापना की। उन्होंने योग, ध्यान और आध्यात्म पर कई महत्वपूर्ण किताबें लिखी हैं। वह पूरे विश्व में आध्यात्मिक और कल्याण कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं और लोगों को एक संतुलित और समृद्ध जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं।

अविरल जैन
आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल करने वाले अविरल जैन ने वालमार्ट की अपनी नौकरी छोड़कर जैन संन्यास लिया। उन्होंने कॉर्पोरेट दुनिया को छोड़कर साधना और तपस्या की राह चुनी।
स्वामी विद्यनाथ नंद
आईआईटी कानपुर के स्नातक और UCLA से पीएचडी करने वाले स्वामी विद्यनाथ नंद ने रामकृष्ण मठ से जुड़कर आध्यात्मिक जीवन को अपनाया। उन्होंने वेदांत और आध्यात्मिक सेवा में अपना जीवन समर्पित किया और ज्ञान का प्रसार किया। उनका जीवन यह दर्शाता है कि भौतिक और आध्यात्मिक सफलता के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है।

सन्यास महाराज
आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले सन्यास महाराज अपने गहरे आध्यात्मिक शिक्षाओं और मठ समुदाय में उनके योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका जीवन यह दर्शाता है कि कैसे आंतरिक शांति और आत्म-साक्षात्कार के लिए समर्पण आवश्यक है।
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