मंत्री पद न मिलने से भड़के छगन भुजबल, गृहनगर वापस लौटे; अब बताया आगे का प्लान
- मंत्री पद से वंचित किए जाने के बाद वे सोमवार को अपने गृहनगर नासिक लौटे और नागपुर में चल रहे राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से दूरी बनाए रखी।
येवला के विधायक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने मंत्री पद न मिलने पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। बुधवार को नासिक में समता परिषद की बैठक में बोलते हुए भुजबल ने डिप्टी सीएम अजित पवार पर अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधा। हालांकि उनका नाम नहीं लिया। भुजबल ने कहा कि उनकी आवाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है और वे ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई को लेकर राज्यभर में दौरा करेंगे।
भुजबल ने शिवसेना से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत बाल ठाकरे के नेतृत्व में की थी और खुद को ओबीसी का प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया है। मंत्री पद से वंचित किए जाने के बाद वे सोमवार को अपने गृहनगर नासिक लौटे और नागपुर में चल रहे राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से दूरी बनाए रखी।
सभा को संबोधित करते हुए भुजबल ने कहा कि एनसीपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल, राज्य अध्यक्ष सुनील तटकरे और यहां तक कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी उन्हें मंत्री बनाने के पक्ष में थे, लेकिन आखिरी समय में उन्हें बाहर रखा गया। भुजबल ने बताया कि उनकी अनुपस्थिति पर एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और यहां तक कि राज्य बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने भी आश्चर्य जताया।
मतदाताओं में नाराजगी, समर्थकों को शांत रहने की अपील
मंत्री पद से वंचित होने के बाद भुजबल ने अपने निर्वाचन क्षेत्र येवला का दौरा किया। उन्होंने बताया कि ओबीसी, दलित, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम मतदाता उनके साथ खड़े हैं और उनको मंत्री पद न मिलने से आहत हैं। भुजबल ने यह भी कहा कि यहां तक कि चुनाव में उनके खिलाफ काम करने वाले मराठा समुदाय के लोग भी इस फैसले से चौंक गए। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी मराठा उनके विरोधी नहीं हैं। कुछ समर्थकों द्वारा अजित पवार की तस्वीर पर चप्पल मारने की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भुजबल ने कहा कि दंगे में शामिल न हों और संयम बरतें। उन्होंने समर्थकों को कहा कि विरोध करते समय मर्यादा बनाए रखें।
मराठा आरक्षण का समर्थन और ओबीसी आरक्षण की रक्षा
भुजबल ने कहा कि उन्होंने राज्य कैबिनेट में तीन बार मराठा आरक्षण का समर्थन किया, लेकिन यह भी स्पष्ट किया कि किसी अन्य समुदाय के आरक्षण में कटौती नहीं होनी चाहिए। मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल का नाम लिए बिना भुजबल ने कहा कि उनकी "मुझे हराने" की अपील से उन्हें 60,000-70,000 वोटों का नुकसान हुआ, लेकिन आदिवासी, दलित, ओबीसी, गुजराती और मारवाड़ी समुदाय ने उन्हें जीत दिलाई।
भुजबल ने दावा किया कि उनका लक्ष्य केवल मंत्री बनना नहीं है। उन्होंने कहा, "मैं ओबीसी के अधिकारों की लड़ाई गांव, जिला और राज्य की सड़कों पर लडूंगा।" उन्होंने बिना अजित पवार का नाम लिए कहा कि लोगों को किसी के प्रति राय बनाने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। समय के साथ परिस्थितियां और राय बदल सकती हैं।
राज्यसभा सदस्यता का प्रस्ताव भी ठुकराया
भुजबल ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें राज्यसभा सदस्यता का प्रस्ताव दिया गया था। एनसीपी के राज्यसभा सांसद नितिन पाटिल से इस्तीफा दिलाकर उनकी जगह राज्यसभा भेजने की पेशकश की गई थी, लेकिन भुजबल ने इसे ठुकरा दिया। भुजबल ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे ओबीसी के अधिकारों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और अपनी आवाज को दबाने के किसी भी प्रयास के सामने झुकेंगे नहीं।