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महाराष्ट्र में भाजपा की नई चिंता, एकनाथ शिंदे सेना ने विधानसभा चुनाव में मांगी सीटों की सेंचुरी

विधानसभा चुनाव भी 4 महीने के अंदर ही होने हैं और उसके लिए भी दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने 100 सीटों की डिमांड रख दी है।

Surya Prakash भाषा, मुंबईThu, 20 June 2024 04:33 AM
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महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के नतीजे भाजपा की उम्मीदों के विपरीत रहे हैं। इसे लेकर मंथन का दौर जारी है और अजित पवार की एनसीपी के साथ तनाव की स्थिति बन गई है। इस बीच विधानसभा चुनाव भी 4 महीने के अंदर ही होने हैं और उसके लिए भी दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने विधानसभा चुनवा में अपनी पार्टी के लिए 100 सीटों की मांग रख दी है। पार्टी के सीनियर लीडर रामदास कदम ने कहा कि उनकी पार्टी को राज्य विधानसभा की 288 सीट में से कम से कम 100 पर चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए।

शिवसेना एऩडीए गठबंधन का हिस्सा है, जिसमें भाजपा और अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) भी शामिल है। राज्य में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। पूर्व मंत्री रामदास कदम ने बुधवार को शिंदे गुट द्वारा आयोजित अविभाजित शिवसेना के 58वें स्थापना दिवस के मौके पर कहा, ‘हमें लड़ने के लिए 100 सीट मिलनी चाहिए और हम उनमें से 90 पर जीत सुनिश्चित करेंगे।’ वहीं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल ने भी हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी को राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए 80 से 90 सीट मिलनी चाहिए।

एनसीपी ने भी रखी थी डिमांड, जिस पर बोले थे देवेंद्र फडणवीस

एनसीपी के दावे पर तो देवेंद्र फडणवीस ने जवाब भी दिया था और कहा था कि राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और राज्य में होने वाले चुनाव में ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ेगी। फडणवीस ने हालांकि यह भी कहा कि तीनों दलों के नेताओं की बैठक और चर्चा के बाद ही सीट बंटवारे पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा को महज 9 सीटें मिलने के बाद उसकी स्थिति गठबंधन में कमजोर होगी। उसे साथी दलों का दबाव झेलना पड़ सकता है।

क्यों अजित पवार को छोड़कर भाजपा के चुनाव में उतरने की चर्चा

हालांकि एक चर्चा यह भी जोर पकड़ रही है कि भाजपा अजित पवार की एनसीपी का साथ छोड़कर चुनाव में उतर सकती है। एकनाथ शिंदे गुट का प्रदर्शन अच्छा था। ऐसे में वह उसे साथ लेकर चलना चाहेगी। एक वजह यह भी है कि शिंदे सेना के साथ उसकी वैचारिक समानता है, जबकि अजित पवार के साथ स्थिति थोड़ा उलट है। बता दें कि संघ के नेताओं ने भी अजित पवार के साथ गठजोड़ पर सवाल उठाया था और लोकसभा चुनाव के खराब नतीजों के लिए जिम्मेदार बताया था।

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