RSS की नाराजगी, एक सर्वे और भाजपा की बैठक ने क्यों बढ़ाई अजित और शिंदे की टेंशन; हलचल तेज
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा अकेले उतरने का फैसला कर सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है, जिसके चलते हलचल तेज है। अजित पवार और शिंदे की टेंशन बढ़ गई है।
पीएम नरेंद्र मोदी को एनडीए का नेता चुने जाने के दौरान दिल्ली आए एकनाथ शिंदे ने कहा था कि भाजपा के साथ हमारा 'फेविकोल वाला जोड़' है। उनकी इस टिप्पणी को गठबंधन की मजबूती के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र में गठजोड़ को लेकर कयास तेज हैं। महाराष्ट्र भाजपा की आज मंथन बैठक है। इसमें जिला स्तर के नेताओं समेत प्रदेश की पूरी टीम को बुलाया गया है। डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले और मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार भी रहेंगे। यही नहीं इन नेताओं की ओर से कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया जा सकता है।
इस मीटिंग के बीच गठबंधन में एनसीपी और एकनाथ शिंदे सेना की टेंशन बढ़ गई है। इसकी वजह एक दावा है, जिसमें कहा जा रहा है कि भाजपा एक सर्वे करा रही है। इस सर्वे के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि क्या भाजपा को विधानसभा चुनाव में अकेले उतरना चाहिए। हाल ही में आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर में छपे एक लेख में अजित पवार को साथ लाने पर सवाल भी उठाए गए थे। कहा गया था कि जब विधानसभा में एकनाथ शिंदे सेना और भाजपा के पास अपने दम पर बहुमत था तो फिर अजित पवार को लेने की क्या जरूरत थी। लेख में साफ कहा गया कि एनडीए को अजित पवार के चलते नुकसान उठाना पड़ा है।
अजित पवार की टेंशन इसलिए भी बढ़ी है क्योंकि एक तरफ संघ ने उनकी आलोचना की है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा के नेताओं ने उसे खारिज भी नहीं किया है। इसके चलते अजित पवार की टेंशन और बढ़ गई है। IANS न्यूज एजेंसी ने तो अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि भाजपा अकेले उतरने का फैसला कर सकती है। इसके लिए भाजपा एक आंतरिक सर्वे करा रही है। इससे यह पता लगाने की कोशिश होगी कि अकेले चलने पर भाजपा को क्या नुकसान और फायदे हो सकते हैं। बता दें कि भाजपा को महाराष्ट्र में महज 9 सीटें ही मिली हैं, जबकि 2019 में वह 23 पर जीती थी। इस बार 28 सीटें लड़ने के बाद भी 9 सीटें ही जीतना चिंता की बात है।
अजित पवार के अलावा एकनाथ शिंदे सेना भी परेशान
एकनाथ शिंदे गुट ने 7 लोकसभा सीटें जीती हैं और उसका स्ट्राइक रेट भी भाजपा से बेहतर रहा है। फिर भी एकनाथ शिंदे के लिए परेशानी वाली बात यह है कि उनकी सीटें उद्धव सेना के मुकाबले कम हैं। हालात ऐसे हैं कि एकनाथ शिंदे के कई विधायक उद्धव ठाकरे गुट के संपर्क में बताए जा रहे हैं। इसके अलावा अजित पवार के भी करीब एक दर्जन विधायक शरद पवार के साथ जाने के मूड में हैं।
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