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फिर करीब आ रहे उद्धव और भाजपा? संजय राउत ने गठबंधन की संभावना से नहीं किया इनकार

  • नागपुर में एक इंटरव्यू के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था कि पहले उद्धव ठाकरे हमारे मित्र थे। फिर राज ठाकरे हमारे मित्र बने। राज अभी भी मित्र हैं, और उद्धव ठाकरे कोई दुश्मन नहीं हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईSat, 11 Jan 2025 06:02 PM
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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक दिन पहले शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर कहा था कि वे कोई "शत्रु" नहीं हैं। अब शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भी नरम रुख इख्तियार किया है। राउत ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ भविष्य में गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया है।

द इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए संजय राउत ने कहा, “हां, राजनीति में कुछ भी संभव है। राजनीति में न तो स्थायी दोस्त होते हैं और न ही स्थायी दुश्मन।” उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उदाहरण देते हुए कहा, “वे भी बीजेपी के सख्त विरोधी थे और अब वे बीजेपी के साथ हैं। इसलिए, राजनीति में भविष्य में कुछ भी हो सकता है।”

फडणवीस ने कही थी दोस्ती की बात

शुक्रवार को नागपुर में एक इंटरव्यू के दौरान मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था, “पहले उद्धव ठाकरे हमारे मित्र थे। फिर राज ठाकरे हमारे मित्र बने। राज अभी भी मित्र हैं, और उद्धव ठाकरे कोई दुश्मन नहीं हैं।” फडणवीस ने कहा, "यदि आप 2019 से 2024 तक के घटनाक्रमों को देखें तो मुझे एहसास हुआ कि कभी भी कुछ भी नहीं कहना चाहिए और कुछ भी हो सकता है। उद्धव ठाकरे किसी अन्य पार्टी में चले जाते हैं और अजित पवार हमारे पास आ जाते हैं। राजनीति में कुछ भी हो सकता है, हालांकि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ऐसा होना चाहिए।"

सालों पुराने गठबंधन का किया जिक्र

शनिवार को संजय राउत ने कहा कि बीजेपी और शिवसेना 25 वर्षों तक सहयोगी रहे। उन्होंने कहा, “फडणवीस के राजनीति में आने से पहले ही शिवसेना और बीजेपी मित्र थे। शिवसेना बीजेपी की सबसे भरोसेमंद सहयोगी थी। लेकिन बीजेपी ने हमें ठुकरा दिया... फिर भी मैं सोचता हूं कि राजनीति में कुछ भी संभव है।” जब राउत से पूछा गया कि क्या ‘सब’ का मतलब बीजेपी के साथ संभावित गठबंधन है, तो उन्होंने इसे स्वीकार किया।

2019 में टूट गया था गठबंधन

2019 के विधानसभा चुनावों के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद बीजेपी और शिवसेना (तब की अविभाजित शिवसेना) का गठबंधन टूट गया। इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ मिलकर महा विकास आघाड़ी सरकार बनाई। हालांकि, दो साल बाद शिवसेना को दो गुटों में बंट गई और एनसीपी में भी टूट हो गई। इसके बाद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ महायुति सरकार का गठन किया। बीजेपी और शिवसेना (यूबीटी) के बीच भविष्य में रिश्तों की तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन संजय राउत का बयान इशारा करता है कि राजनीति में किसी भी वक्त समीकरण बदल सकते हैं।

शिवसेना (उबाठा) अकेले लड़ेगी स्थानीय निकाय चुनाव: राउत

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महा विकास आघाडी की हार को लेकर आरोप-प्रत्यारोप के बीच प्रमुख घटक उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना ने शनिवार को स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा की। इस कदम से विपक्षी खेमे की एकता पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। शिवसेना (उबाठा) के नेता संजय राउत ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी आगामी स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी।

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शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने गठबंधन में संबंधित दलों के कार्यकर्ताओं के लिए अवसरों की कमी और संगठनात्मक विकास के अधिकार को अकेले चुनाव लड़ने के प्रमुख कारणों के रूप में उद्धृत किया। दो दिन पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कांग्रेस को झटका देते हुए पांच फरवरी को होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों में अरविंद केजरीवाल की 'आप' को समर्थन देने की घोषणा की थी।

राउत की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए एक कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व इस बात पर फैसला करेगा कि कांग्रेस स्थानीय निकाय चुनाव अकेले लड़ेगी या नहीं, जिसका कार्यक्रम अभी घोषित होना बाकी है। शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) के फैसले से एमवीए गठबंधन के सभी तीन घटकों की चुनावी संभावनाओं पर असर पड़ेगा।

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