शरद पवार हमारे देवता, NCP के दोनों धड़े जल्द हों एक; प्रफुल्ल पटेल की अपील
- एनसीपी अजित पावर गुट के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने हाल ही में दोनों धड़ों के एकजुट होने की सार्वजनिक अपील करते हुए इसे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की साझा इच्छा बताया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत के बाद, अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी पर अलग-थलग पड़ने का संकट गहराता दिख रहा है। इस राजनीतिक परिदृश्य में अब अजित पवार और उनके सहयोगियों को शरद पवार की अहमियत का अहसास होने लगा है। एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने हाल ही में दोनों धड़ों के एकजुट होने की सार्वजनिक अपील करते हुए इसे पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की साझा इच्छा बताया।
अजित पवार की मां आशा पवार ने नए साल पर पंढरपुर स्थित विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर में प्रार्थना करते हुए शरद पवार और अजित पवार के बीच सभी मतभेद खत्म होने की कामना की। उन्होंने कहा, "मैंने प्रार्थना की कि शरद पवार और अजित पवार फिर से एक हो जाएं और सभी विवाद समाप्त हो जाएं।" उनके इस बयान के बाद पार्टी के कई नेताओं ने भी ऐसा ही संदेश दिया।
प्रफुल्ल पटेल ने इसे भावनात्मक मुद्दा बताते हुए कहा, "शरद पवार हमारे देवता हैं। यदि परिवार एकजुट हो जाता है, तो यह हम सभी के लिए खुशी की बात होगी।" वहीं, एनसीपी विधायक नरहरि जिरवाल ने भी शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी व्यक्त की और कहा कि उन्हें शरद पवार से अलग होने पर असहजता महसूस होती है।
एनसीपी (अ) के प्रवक्ता अमोल मिटकरी ने भी दोनों धड़ों के एक होने की संभावना जताई, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि शरद पवार के करीबियों जैसे जितेंद्र आव्हाड और रोहित पवार से इस एकता में रुकावट पैदा हो सकती है। मिटकरी ने कहा, "आशा पवार की प्रार्थना सभी एनसीपी कार्यकर्ताओं की प्रार्थना है। लेकिन कुछ लोग इस एकता को रोकना चाहेंगे।"
भाजपा ने इस पर तटस्थ रुख अपनाया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि यदि दोनों धड़े फिर से एकजुट होते हैं, तो पार्टी को कोई आपत्ति नहीं होगी। उन्होंने कहा, "यह उनका पारिवारिक मामला है और निर्णय उन्हें ही लेना होगा।"
ज्ञात हो कि अजित पवार ने जून 2023 में एनसीपी से अलग होकर 40 विधायकों के साथ भाजपा और शिवसेना के साथ गठबंधन किया था। हालांकि, नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (शरद) ने 86 में से सिर्फ 10 सीटें जीतीं, जबकि अजित पवार की एनसीपी ने 29 सीटें हासिल कीं। अब हालिया बयानों के बाद ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि एनसीपी के दोनों धड़े अपने मतभेदों को भुलाकर एकजुट हो पाते हैं या नहीं।