ऑपरेशन टाइगर: 6 सांसद छोड़ेंगे उद्धव ठाकरे का साथ? शिंदे की पार्टी में हो सकते हैं शामिल
- ऑपरेशन टाइगर के जरिए उद्धव ठाकरे गुट के नौ में से छह सांसद शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों से पता चला है कि संसद के आगामी सत्र से पहले इस अभियान को पूरा करने के प्रयास चल रहे हैं।
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विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद उद्धव ठाकरे गुट में भारी बेचैनी है। कई लोग अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इस बीच खबर आ रही है कि उद्धव ठाकरे के 6 सांसद एकनाथ शिंदे गुट के संपर्क में हैं। वह जल्द ही शिवसेना का दामन थाम सकते हैं। इसके लिए कथित तौर पर शिंदे गुट की तरफ से ऑपरेशन टाइगर चलाया जा रहा हैय़
पिछले कुछ दिनों से शिवसेना शिंदे गुट के ऑपरेशन टाइगर की खूब चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि ठाकरे गुट और कांग्रेस के कई नेता ऑपरेशन टाइगर के तहत शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल होंगे। इस बीच, यह बात सामने आई है कि शिवसेना की ऑपरेशन टाइगर की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सूत्रों ने जानकारी दी है कि शिवसेना ठाकरे गुट के 6 सांसद संसद सत्र के दौरान ही शिंदे गुट में शामिल हो जाएंगे।
ऑपरेशन टाइगर के जरिए उद्धव ठाकरे गुट के नौ में से छह सांसद शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों से पता चला है कि संसद के आगामी सत्र से पहले इस अभियान को पूरा करने के प्रयास चल रहे हैं। ऑपरेशन टाइगर पर कई दिनों से चर्चा चल रही है। लेकिन दलबदल विरोधी कानून के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। सांसदी बचाने के लिए नौ सांसदों में से छह को दलबदल करना होगा। कहा जा रहा है कि समग्र रूप से 6 सांसदों को मनाने में भी समय लगा।
ठाकरे गुट के कुछ विधायक भी संपर्क में
बताया जा रहा है कि छह सांसद शिंदे गुट में शामिल होने के लिए तैयार हैं और जल्द ही पार्टी में शामिल होंगे। यह सर्वविदित है कि भाजपा भी शिंदे का समर्थन कर रही है। इसके साथ ही पता चला है कि कुछ विधायक भी संपर्क में हैं।
ठाकरे गुट क्यों छोड़ सकते हैं सांसद?
महाराष्ट्र में महायुति सरकार अगले 5 साल के लिए मजबूत स्थिति में है। कई सांसद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। मुख्य रूप से फंड मिलने में कठिनाई हो सकती है। महायुति सरकार केंद्र और राज्य दोनों जगह सत्ता में है, इसलिए उनके लिए शिंदे गुट में शामिल होने फायदे का सौदा हो सकता है।
शिवसेना ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और लोगों ने उन्हें स्वीकार किया। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में भी उन्हें पहचान मिली। शिवसेना की बड़ी जीत हुई। अब पार्टी और चुनाव चिन्ह के अलावा कुछ नहीं बचा।