महाराष्ट्र की 'बिहार मॉडल' से तुलना करना बेईमानी, क्यों पुरानी गलती नहीं दोहराना चाहेगी BJP?
- बिहार मॉडल की तुलना महाराष्ट्र से करना बेईमानी है, क्योंकि दोनों राज्यों में बीजेपी की स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क है। महाराष्ट्र में अपना सीएम बनाकर बीजेपी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार को लेकर भी संदेश देना चाहेगी।
महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की बंपर जीत के बीच राज्य में 'बिहार मॉडल' की चर्चा होने लगी है। अगले मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर लगना अभी बाकी है। बीजेपी से देवेंद्र फडणवीस सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार हैं, लेकिन वर्तमान सीएम और शिवेसना नेता एकनाथ शिंदे पीछे हटने को आसानी से तैयार नहीं हो रहे। इस बीच, बिहार में जिस तरह जेडीयू की कम सीटें आने के बाद भी बीजेपी ने नीतीश कुमार को भी मुख्यमंत्री बनाए रखा, उसी तर्ज पर अब महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को सीएम बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। हालांकि, बिहार मॉडल की तुलना महाराष्ट्र से करना बेईमानी है, क्योंकि दोनों राज्यों में बीजेपी की स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क है। महाराष्ट्र में बीजेपी के पास फडणवीस जैसा बड़ा चेहरा है, जबकि बिहार में ऐसा नहीं था। साथ ही, महाराष्ट्र में पार्टी अकेले ही लगभग-लगभग बहुमत ले आई है, जबकि उसने सिर्फ 149 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था। महाराष्ट्र में अपना सीएम बनाकर बीजेपी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार का भी संदेश देना चाहेगी।
बिहार वाली गलती महाराष्ट्र में क्यों नहीं चाहती बीजेपी
बिहार में जब 2020 के अंत में विधानसभा चुनाव हुए थे, तब बीजेपी ने 80 सीटें जीतने के बाद भी 45 सीटें जीतने वाले नीतीश कुमार को ही सीएम बनाया था। इसके पीछे तर्क दिया गया था कि चूंकि, नीतीश कुमार को चुनाव से पहले ही सीएम पद के रूप में प्रोजेक्ट कर दिया गया था, इस वजह से बीजेपी ने ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी उन्हें ही सीएम बनाए रखा। बीजेपी ने इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश कि वह गठबंधन धर्म का पालन करती है, लेकिन महाराष्ट्र में अब भगवा दल बिहार वाली गलती नहीं दोहराना चाहेगा। सबसे ज्यादा सीटें बीजेपी के पास होने के बाद भी बिहार में सीएम होने के चलते नीतीश कुमार ही सबसे बड़ा चेहरा हैं। भले ही सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा बीजेपी के कोटे से डिप्टी सीएम हों, लेकिन सरकार की उपलब्धियां ज्यादातर नीतीश कुमार के हिस्से ही आती हैं। सरकार भले ही एनडीए गठबंधन की हो, लेकिन योजनाएं लागू करने का लाभ सीएम होने के नाते नीतीश कुमार को ही मिलता है। लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण में भी नीतीश कुमार की जमकर चली और 16 सीटें तक गठबंधन में हासिल करने में कामयाब हो गए, जिसमें 12 सीटें जीतीं।
फडणवीस से अब और 'त्याग' नहीं करवाएगी बीजेपी
2014-19 तक महाराष्ट्र के सीएम रह चुके देवेंद्र फडणवीस की गिनती बीजेपी के नई पीढ़ी के तेज-तर्रार नेताओं में होती है। 2022 में शिवसेना के टूटने के बाद बीजेपी की मदद से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तो फडणवीस को डिप्टी सीएम पद से संतोष करना पड़ा। वे सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरी बीजेपी में अगली पीढ़ी के नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं। उन्हें आरएसएस का भी अच्छा समर्थन हासिल है और संघ भी फडणवीस को ही महाराष्ट्र का नया मुख्यमंत्री देखना चाहता है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने भी उन्हें ही नया सीएम बनाने का फैसला कर लिया है, जबकि एकनाथ शिंदे और अजित पवार को डिप्टी सीएम बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। आने वाले दिनों इसकी मुहर भी लग जाएगी। 2019 में भी सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी सत्ता से दूर रह गई थी, क्योंकि शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने सरकार बना ली और उद्धव ठाकरे राज्य के नए सीएम बने। हालांकि, 2022 में बड़े बदलाव के बाद शिंदे बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री बन गए। अब जब बीजेपी ने अकेले 132 सीटें जीत ली हैं तो पार्टी बिल्कुल नहीं चाहेगी कि वह महाराष्ट्र में भी बिहार जैसा मॉडल अपनाए, जिससे ज्यादातर क्रेडिट शिंदे या फिर अन्य नेता को मिले। बीजेपी हर हाल में अपना सीएम बनाकर अपनी ही पार्टी को महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्य फोकस में रखना चाहेगी।
आखिर कैसे उठी महाराष्ट्र में बिहार मॉडल की चर्चा?
दरअसल, शिवसेना प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने सोमवार को एक बयान दिया जिसके बाद बिहार मॉडल पर देशभर में चर्चा होने लगी। उन्होंने 'बिहार मॉडल' का हवाला देते हुए कहा कि एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए, जहां सत्तारूढ़ 'महायुति' ने विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल की है। पत्रकारों से बात करते हुए शिवसेना प्रवक्ता म्हस्के ने कहा कि शिंदे को मुख्यमंत्री के रूप में बने रहना चाहिए। लोकसभा सदस्य ने कहा, ''हमें लगता है कि शिंदे को मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे बिहार में भाजपा ने संख्याबल पर ध्यान नहीं दिया और जद (यू) नेता नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। महायुति (महाराष्ट्र में) के वरिष्ठ नेता अंतिम फैसला लेंगे।''