Hindi Newsमहाराष्ट्र न्यूज़Maharashtra assembly election results numerous seats closely contested with margins as slim as 5000 votes

महाराष्ट्र में 63 सीटों पर जीत का अंतर काफी कम, इन सीटों पर तो हारते-हारते बचे दिग्गज

  • हाल ही में आए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों में कई सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिली। कई सीटों पर वोट का अंतर 5,000 से भी कम रहा। बंपर जीत दर्ज करने वाली बीजेपी और महायुति को और फायदा मिल सकता था।

Jagriti Kumari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 25 Nov 2024 09:38 AM
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार की गठबंधन महायुति ने राज्य की 288 में से 235 सीटों पर जीत हासिल की है। अकेले भाजपा ने 132 सीटें जीतकर राजनीतिक विश्लेषकों को भी चौंका दिया है। हालांकि अगर नतीजों की समीक्षा की जाए तो बीजेपी कुछ और सीटें अपने नाम कर सकती थी जहां जीत-हार का मार्जिन बेहद कम रहा। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में लगभग 63 सीटें ऐसी थी जहां जीत हार का अंतर 10,000 या उससे भी कम था। इनमें से 33 सीटों पर तो अंतर 5,000 या उससे कम भी कम वोटों का रहा।

इन नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र में महायुति की जीत का कारण 'लड़की बहन' योजना, एमवीए के मराठा कार्ड के इस्तेमाल से जातिगत ध्रुवीकरण और संघ द्वारा की गई मेहनत है। इन सभी फैक्टर्स ने महायुति की जीत में योगदान दिया है। भाजपा ने बहुत कम अंतर से कई सीटें हारी हैं। कर्जत जामखेड सीट पर एनसीपी (एसपी) के रोहित पवार ने सिर्फ 1,243 वोटों से जीत हासिल की। वर्सोवा में भाजपा उम्मीदवार भारती लावेकर को शिवसेना यूबीटी के उम्मीदवार ने सिर्फ 1,600 वोटों से हरा दिया।

इस बीच उद्धव ठाकरे के लिए ये चुनाव एक चेतावनी की तरह हैं। भले ही उनकी पार्टी को 20 सीटें मिलीं लेकिन उनमें से 10 सीटें 10,000 से कम वोटों के अंतर से जीती हैं। इसमें वर्ली से आदित्य ठाकरे की जीत भी शामिल है। उन्होंने शिंदे सेना के मिलिंद देवड़ा को 8801 वोटों से हराया। वहीं एनसीपी (एसपी) के 10 में से तीन उम्मीदवार 5,000 या उससे भी कम वोटों के अंतर से जीते हैं।

भाजपा के भी कुछ उम्मीदवारों ने बेहद कम अंतर से चुनाव जीता है। भाजपा के 17 उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने 10,000 या उससे कम वोटों के अंतर से जीत हासिल की। ​​इनमें से 10 ने 5,000 या उससे कम वोटों के अंतर से जीत हासिल की। इन सीटों पर विपक्षी दलों के बीच वोट बंट जाने की वजह से भाजपा को फायदा हुआ।

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