एकनाथ शिंदे हुए खफा? महायुति के बर्ताव से भी उखड़े, अमित शाह से मिलने दिल्ली तक नहीं गए
- अखबार से बातचीत में शिंदे के एक करीबी ने कहा, 'इस पूरी प्रक्रिया में शिंदे उनके साथ हुए व्यवहार से भी खफा हैं।' उन्होंने कहा, 'उन्हें हर चीज में तोल मोल करना पड़ा। उन्हें लगता है कि सत्ता में उन्हें उचित हिस्सा नहीं दिया गया।
महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने के बाद भी सियासी ड्रामा जारी है। खबरें हैं कि आलाकमान से दिल्ली में हुई मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद नहीं थे। कहा जा रहा है कि बड़े मंत्रालयों पर मतभेद सुलझने के बाद भी गठबंधन सरकार में कुछ मुद्दों पर रार जारी है। संभावनाएं जताई जा रही हैं कि इस सप्ताह कैबिनेट विस्तार हो सकता है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, शिवसेना प्रमुख के कार्यालय की तरफ से जानकारी दी गई है कि शिंदे बुधवार को हुई बैठक में मौजूद नहीं थे। यह बैठक ऐसे समय पर हुई है, जब राज्य में विभागों के बंटवारे को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा के साथ हुई मीटिंग में अजित पवार भी शामिल रहे थे।
खास बात है कि पहले शिंदे भी बैठक में शामिल होने वाले थे, लेकिन बाद में उन्होंने नहीं जाने का फैसला किया। अखबार से बातचीत में उनके करीबियों ने बताया है कि शहरी विकास विभाग के अलावा शिंदे पक्ष को कोई भी बड़ा मंत्रालय नहीं दिया गया है। वह राजस्व, लोक निर्माण, एमएसआरडीसी, आवास और उद्योग में दिलचस्पी दिखा रहे थे, लेकिन भाजपा ने मांग को स्वीकार नहीं किया।
खबर है कि शिंदे भाजपा की इस शर्त से भी खफा थे कि पिछली सरकार में जिनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उन नेताओं को नहीं चुना जाएगा। अखबार से बातचीत में शिंदे के एक करीबी ने कहा, 'इस पूरी प्रक्रिया में शिंदे उनके साथ हुए व्यवहार से भी खफा हैं।' उन्होंने कहा, 'उन्हें हर चीज में तोल मोल करना पड़ा। उन्हें लगता है कि सत्ता में उन्हें उचित हिस्सा नहीं दिया गया। जबकि, महाराष्ट्र में महायुति की जीत में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।'
एचटी के अनुसार, ऐसे में वह ठाणे स्थित आवास में ही रहे और दिल्ली नहीं गए।
किसके खाते में क्या
राज्य सरकार में विभागों को लेकर जारी बैठकों के बात तीनों दल एक फॉर्मूले पर सहमत होते नजर आए थे, जिसके तहत भाजपा को 22, शिवसेना को 11 और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 10 पद मिलेंगे। खास बात है कि महाराष्ट्र सरकार में अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं, जिनमें सीएम भी शामिल हैं।
हालांकि, खबरें ये भी हैं कि विभागों की संख्या बदल भी सकती है। अखबार ने भाजपा नेताओं के हवाले से बताया है कि अगर शिवसेना और एनसीपी और ज्यादा मंत्री पद मांगती है, तो उन्हें छोटे विभागों से संतोष करना होगा। इधर, गृहमंत्रालय भाजपा के खाते में जाता नजर आ रहा है और माना जा रहा है कि पार्टी राजस्व भी अपने पास रख सकती है। शिंदे को शहरी विकास विभाग और वित्त एनसीपी को मिल सकता है।
चैनल के अनुसार, नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने कहा, 'कैबिनेट विस्तार 14 दिसंबर को हो सकता है। गृह विभाग शिवसेना को दी जाने की संभावनाएं नहीं हैं। शिवसेना को हो शहरी विकास दिया जा सकता है, लेकिन हो सकता है कि उन्हे राजस्व न मिले।' खबरें ये भी हैं कि सरकार में चार से पांच मंत्री पद खाली रखे जाएंगे।